Sunday, January 9, 2011

कुछ अहसास ऐसे होते हैं ....

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आप इसे यहाँ मेरी आवाज में सुन सकते हैं ....
कुछ अहसास ऐसे होते हैं ....
जो रहते हैं  बहुत दूर, शब्दों से ,
पर उन्हे छूने  कहीं जाना नहीं होता,
बस यहीं खड़े ,
करना होता है बंद आंखे,
और वो खुद बंधे चले आते हैं ।

कुछ अहसास ऐसे होते हैं ....
जो  नहीं रहते हैं अब यहाँ ,
पर मरते नहीं  कभी, न बिछुड़ते हैं,
साल दर साल, 
जब भी पलाश पर फूल खिलता है ,
वो खुद मिलकर चले जाते हैं ।

कुछ अहसास ऐसे होते हैं....
जो बंधते नहीं किसी धागे से,
जिनका एक चेहरा नहीं होता ,
बस दो पल फुर्सत के निकाल,
करनी होती है बातें आइने से,
वो खुद ही सामने उभर आते हैं।

कुछ अहसास ऐसे होते हैं....
जो कभी जनम नहीं पाते ,
जिनकी किलकारियाँ सुनाई नहीं देती,
ज़िंदगी की इस दौड़ में,
इससे पहले कि  आ सकें  ऊपर,
वो पैरों तले रौंद दिये जाते हैं ।
............रजनीश (09.01.11)

3 comments:

  1. खूबसूरत अहसास पिरोये हैं आपने रजनीश भाई | ऐसे ही लिखते रहिएगा ...

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  2. bahut khubsurati se baya n kiya hai hasaso ko..........good

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  3. कुछ अहसास ऐसे होते हैं....
    जो कभी जनम नहीं पाते ,
    जिनकी किलकारियाँ सुनाई नहीं देती,
    yah hui na bat bahut sundar ,badhai

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...