आसान सी है जिंदगी इसे दुश्वार क्यूँ बनाते हो,
हँसते-खेलते हुए दिलों को बीमार क्यूँ बनाते हो ।
मिल रही हैं तुम्हें पेट भरने को रोटियाँ,
अपने कारखानों में तुम तलवार क्यूँ बनाते हो ।
ज़िंदगी तुम्हारी है प्यार का हसीं सौदा,
इसे चंद कौड़ियों का व्यापार क्यूँ बनाते हो ।
छोटी सी छांव में ही कटनी है ज़िंदगी,
इंसानी लाशों पे खड़ी ये मीनार क्यूँ बनाते हो ।
चाहते हो हर कदम बांट ले थोड़ा दर्द कोई,
हर तरफ बँटवारे की दीवार क्यूँ बनाते हो ।
....रजनीश (10.03.2011)
चाहते हो हर कदम बांट ले थोड़ा दर्द कोई,
ReplyDeleteहर तरफ बँटवारे की दीवार क्यूँ बनाते हो ।
बहुत बढ़िया सर!
मिल रही हैं तुम्हें पेट भरने को रोटियाँ,
ReplyDeleteअपने कारखानों में तुम तलवार क्यूँ बनाते हो ।
ज़िंदगी तुम्हारी है प्यार का हसीं सौदा,
इसे चंद कौड़ियों का व्यापार क्यूँ बनाते हो ।
छोटी सी छांव में ही कटनी है ज़िंदगी,
इंसानी लाशों पे खड़ी ये मीनार क्यूँ बनाते हो ।
वाह शानदार ………लाजवाब ……………सभी शेर बेहतरीन्।
उम्दा शेर ......अच्छी रचना
ReplyDeleteमिल रही हैं तुम्हें पेट भरने को रोटियाँ,
ReplyDeleteअपने कारखानों में तुम तलवार क्यूँ बनाते हो।.....
क्या शेर कहे हैं आपने,
बहुत खूब !...... हरेक शेर लाज़वाब..
"चाहते हो हर कदम बांट ले थोड़ा दर्द कोई,
ReplyDeleteहर तरफ बँटवारे की दीवार क्यूँ बनाते हो "
बहुत संवेदनशील हैं आप ...शुभकामनायें आपके लिए !!
behad achchi lagi har line.....
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