Thursday, June 30, 2011

चंद शेर थोड़ा अफसोस

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उनकी हर अदा पे मुस्कुराते रहे हम
चुभता है दिल में ये कहना न आया

मरते मरते आदत मरने की हो गई
करते   हैं कोशिश पर जीना न आया

कब हुए वो संजीदा कब मसखरी की
हुए ख़ाक हम पर समझना न आया

हंसने से दिल को राहत पहुँचती है
गुदगुदाया खुद को पर हंसना न आया

दर्द की शक्ल क्या चेहरे पर झलकती है
दर्द हो गए हम पर दिखाना न आया

रियाया पे उनके सितम क्या कहें हम
काट ली पूरी गर्दन पर पसीना न आया

हसरत बहुत थी कुछ गुनगुनाएँ हम भी
जुबां पर कभी पर वो गाना न आया

कहते हैं लिखा सब हाथों  की लकीरों मे
फंस गए लकीरों में पर पढ़ना  न आया

न रदीफ़ न काफिया न मतला न मकता
ख़त्म हुए पन्ने   गज़ल कहना न आया
....रजनीश ( 30.06.2011)

16 comments:

  1. रियाया पे उनके सितम क्या कहें हम
    काट ली पूरी गर्दन पर पसीना न आया

    लाजवाब!

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  2. "न रदीफ़ न काफिया न मतला न मकता
    ख़त्म हुए पन्ने गज़ल कहना न आया"
    वाह!!!! रजनीश जी इतनी अच्छी गज़ल कह गये और कहते हैं की कहना न आया.थोडा हम जैसे लोगों का भी ध्यान रखा होता जिन्हें सच में ही गज़ल लिखना नहीं आता.
    "कहते हैं सब लिखा हाथों की लकीरों मे
    फंस गए लकीरों में पर पढ़ना न आया"
    इस लाजवाब गज़ल के लिए बधाई स्वीकारें
    आभार

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  3. मरते मरते आदत मरने की हो गई
    करते हैं कोशिश पर जीना न आया
    ... bahut achhi gazal

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  4. कहते हैं सब लिखा हाथों की लकीरों मे
    फंस गए लकीरों में पर पढ़ना न आया

    न रदीफ़ न काफिया न मतला न मकता
    ख़त्म हुए पन्ने गज़ल कहना न आया

    बहुत बढ़िया...

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  5. रियाया पे उनके सितम क्या कहें हम
    काट ली पूरी गर्दन पर पसीना न आया

    बहुत खूब ..

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  6. रियाया पे उनके सितम क्या कहें हम
    काट ली पूरी गर्दन पर पसीना न आया

    ख़ून तो आया ही होगा?...बहुत सुन्दर रचना

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  7. insaan chahe to kya nahi kar sakta.

    koshish ki jiye gazel ke bhi sare kayde samajh me aa jayenge. :)

    sunder prastuti.

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  8. bahut khuub |

    aaj itna hi |\
    tippaniyo ne post hone me bahut samay lagaya|

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  9. लाजवाब अशआर...लाजवाब ग़ज़ल...

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  10. लाजवाब अशआर...लाजवाब ग़ज़ल...

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  11. यूँ तो सभी शेर उम्दा हैं मुझे ये वाला जरा ज्यादा पसंद आया
    हसरत बहुत थी कुछ गुनगुनाएँ हम भी
    जुबां पर कभी पर वो गाना न आया

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  12. Waah Rajneesh Sahab, shaam bana di aap ki is post ne toh. Maza aa gaya padh kar.

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  13. कहते हैं सब लिखा हाथों की लकीरों मे
    फंस गए लकीरों में पर पढ़ना न आया

    जज्बात हर शेर में बड़े ही खूबसूरत हैं.

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...