उनकी हर अदा पे मुस्कुराते रहे हम
चुभता है दिल में ये कहना न आया
मरते मरते आदत मरने की हो गई
करते हैं कोशिश पर जीना न आया
कब हुए वो संजीदा कब मसखरी की
हुए ख़ाक हम पर समझना न आया
हंसने से दिल को राहत पहुँचती है
गुदगुदाया खुद को पर हंसना न आया
दर्द की शक्ल क्या चेहरे पर झलकती है
दर्द हो गए हम पर दिखाना न आया
रियाया पे उनके सितम क्या कहें हम
काट ली पूरी गर्दन पर पसीना न आया
हसरत बहुत थी कुछ गुनगुनाएँ हम भी
जुबां पर कभी पर वो गाना न आया
कहते हैं लिखा सब हाथों की लकीरों मे
फंस गए लकीरों में पर पढ़ना न आया
न रदीफ़ न काफिया न मतला न मकता
ख़त्म हुए पन्ने गज़ल कहना न आया
....रजनीश ( 30.06.2011)
रियाया पे उनके सितम क्या कहें हम
ReplyDeleteकाट ली पूरी गर्दन पर पसीना न आया
लाजवाब!
bhut khubsurat ehsaas....
ReplyDelete"न रदीफ़ न काफिया न मतला न मकता
ReplyDeleteख़त्म हुए पन्ने गज़ल कहना न आया"
वाह!!!! रजनीश जी इतनी अच्छी गज़ल कह गये और कहते हैं की कहना न आया.थोडा हम जैसे लोगों का भी ध्यान रखा होता जिन्हें सच में ही गज़ल लिखना नहीं आता.
"कहते हैं सब लिखा हाथों की लकीरों मे
फंस गए लकीरों में पर पढ़ना न आया"
इस लाजवाब गज़ल के लिए बधाई स्वीकारें
आभार
मरते मरते आदत मरने की हो गई
ReplyDeleteकरते हैं कोशिश पर जीना न आया
... bahut achhi gazal
ek se badhkar ek ....
ReplyDeleteआज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDeleteबटुए में , सपनों की रानी ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .
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कहते हैं सब लिखा हाथों की लकीरों मे
ReplyDeleteफंस गए लकीरों में पर पढ़ना न आया
न रदीफ़ न काफिया न मतला न मकता
ख़त्म हुए पन्ने गज़ल कहना न आया
बहुत बढ़िया...
रियाया पे उनके सितम क्या कहें हम
ReplyDeleteकाट ली पूरी गर्दन पर पसीना न आया
बहुत खूब ..
रियाया पे उनके सितम क्या कहें हम
ReplyDeleteकाट ली पूरी गर्दन पर पसीना न आया
ख़ून तो आया ही होगा?...बहुत सुन्दर रचना
insaan chahe to kya nahi kar sakta.
ReplyDeletekoshish ki jiye gazel ke bhi sare kayde samajh me aa jayenge. :)
sunder prastuti.
bahut khuub |
ReplyDeleteaaj itna hi |\
tippaniyo ne post hone me bahut samay lagaya|
लाजवाब अशआर...लाजवाब ग़ज़ल...
ReplyDeleteलाजवाब अशआर...लाजवाब ग़ज़ल...
ReplyDeleteयूँ तो सभी शेर उम्दा हैं मुझे ये वाला जरा ज्यादा पसंद आया
ReplyDeleteहसरत बहुत थी कुछ गुनगुनाएँ हम भी
जुबां पर कभी पर वो गाना न आया
Waah Rajneesh Sahab, shaam bana di aap ki is post ne toh. Maza aa gaya padh kar.
ReplyDeleteकहते हैं सब लिखा हाथों की लकीरों मे
ReplyDeleteफंस गए लकीरों में पर पढ़ना न आया
जज्बात हर शेर में बड़े ही खूबसूरत हैं.