Tuesday, November 29, 2011

फिर वही बात

2011-10-06 16.41.14
रोज़ इनसे होते हैं दो-चार
सुनते किस्से इनके हजार
खबरों से हैं गरम बाज़ार
बड़ा फेमस है भ्रष्टाचार

किसी को मिली बेल
कोई गया जेल
किसी के नाम एफ़आईआर
कोई हुआ फ़रार

कोई थोड़ा कम
कोई थोड़ा ज्यादा
आपस  में कोई भेद नहीं
किसी की शर्ट सफ़ेद नहीं

जो हवा में घुला हो
उसे मारोगे कैसे
जो खून में मिला हो
उसे पछाड़ोगे कैसे

डंडे चलाने से ये नहीं भागेगा
तुम इसे रोकोगे ये तुम्हें काटेगा
एक छत से भगाओगे दूसरी पर कूदेगा
छूट जायेगा यार इसका साथ ना छूटेगा

अभावों के घर में पलता रहा ये
जरूरतों के साथ ही बढ़ता रहा ये
दम  घोंटना हो इसका
तो गला लालच का दबाओ
पास हो जितनी चादर
उतना पैर फैलाओ
छोड़ खोज आसां रस्तों की
राह मिली जो उसमें कदम बढ़ाओ ...
....रजनीश ( 29 .11. 2011)

12 comments:

  1. पर देश का हाल बेहाल है।

    ReplyDelete
  2. बात तो आपने सही कही है मगर मानना कौन चाहता है।

    ReplyDelete
  3. बिल्कुल सही... आज कोई भी तो दूध का धुला नजर नहीं आता... हर कोई खुद को बचा ले तो ही देश बच सकता है..

    ReplyDelete
  4. रजनीश जी .....यथार्थ परक अभिव्यक्ति ..सत्य का अनुसरण करना ही नहीं चाहते या असत्य में भटक जाते हम....

    ReplyDelete
  5. बड़ा मुश्किल है आज के ज़माने में सब्र करना...

    ReplyDelete
  6. आज के समाज का सही हाल व्यक्त किया ......

    ReplyDelete
  7. सटीक अभिव्यक्ति ..

    ReplyDelete
  8. किसी की शर्ट सफ़ेद नहीं..... सटीक बातें लिए रचना

    ReplyDelete
  9. Well said Sir....Jo hawa mein ghula ho usse maroge kaise, Jo khoon mein mila ho usse pachadoge kaise.....Health ministry is denying the existance of Superbug....Actually these people are real SUPERBUG.

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...