Friday, December 23, 2011

प्यार की राह


एक राह 
खोई सी कोहरे में 
इक राह 
कहीं छुप जाती है 
धरती पर उतर आए 
सफ़ेद बादलों के छुअन सी 
एक पदचाप सुन 
एक राह फिर  जी उठती है 
कुछ कदम 
और चले जाते हैं 
कोहरे में 
और राह फिर लौट आती है ...

एक राह 
शुरू  होती है सपनों में 
दिल से होकर जाती है 
जब-जब मिलती हैं 
आँखों से आंखे 
इस राह में कलियाँ मुसकुराती हैं ...

जब होते हैं हाथों में हाथ 
और दिल से जब 
दिल करता है बात 
इस राह में 
दौड़ते हैं कुछ जज़्बात 
पार करते मीलों के पत्थर 

एक राह रुकती नहीं 
ठहरे हुए वक्त में 
जब अपना वजूद खोता एक आगोश 
सुनता है धड़कनों के गीत 
राह नाचती है 

एक राह 
कब रात से होकर दिन
और दिन से रात में चली जाती है 
बढ़ते कदमों को
 खबर नहीं होती 

इस राह पर 
फूलों को देखा नहीं मुरझाते कभी 
तितलियाँ  नहीं सुस्ताती कभी
चाँदनी का एहसास 
सूरज की किरणों के बीच भी 
कदम -कदम पर 
राह में रहता है मौजूद 
अलसाती नहीं कोई शाम 
और खुशनुमा मौसम 
कभी बदलता नहीं 
मुसकुराते आंसू 
और पग पग पर 
बिखरे मोतियों से चमकती 
ये राह कभी थकती नहीं 

प्यार की राह 
ऐसी ही होती है ...
...रजनीश (23.12.2011)

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर..
    प्यारी सी भावनात्मक अभिव्यक्ति...
    बधाई.

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  3. राह सदा ही चलती रहती,
    चाह हमारी ढलती रहती।

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  4. जग की मायावी छटा , मनवा को भटकाय
    राह प्यार की एक ही, मंजिल तक पहुँचाय.

    रजनीश जी, मौसम और जज्बातों को समेट कर बहुत सुंदर रचना रची है.बधाई...

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  5. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना !
    आभार !

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  6. बहुत सुंदर मन के भाव ...
    प्रभावित करती रचना ...

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  7. प्यार की राह ऐसी ही होती है . . . .- वाह, सुन्दर भाव.

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  8. इक राह गुजरती है इस दिल के नशेमन से... बहुत सुंदर अहसास !

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...