इस जहाँ में किसी पर भरोसा नहीं होता
पर यहाँ पहरेदारों पर पहरा नहीं होता
यूं तो दुनिया भरी है चमक-ओ-दमक से
पर हर चमकता पत्थर हीरा नहीं होता
माना कुछ ऐसे ही रहे हैं तजुर्बे तुम्हारे
पर हर अजनबी साया लुटेरा नहीं होता
यूं तो मिल जाती है जगह रात बिताने
पर हर चहारदीवारी में बसेरा नहीं होता
भीतर झाँक लेते ना मिलता जहां ना सही
पर अपने चिराग तले अंधेरा नहीं होता
यूं तो रात के बाद सुबह आया करती है
पर हर अंधेरी रात का सबेरा नहीं होता
मुहब्बत अपने लिए हर आरज़ू अपने लिए
पर सच्चे प्यार का कोई दायरा नहीं होता
यूं तो ऊपर से दूर तलक दिखता है पानी
पर हर दरिया या सागर गहरा नहीं होता
बैठ लेता मैं अकेला उस खामोश तन्हाई में
पर तुम्हारी याद बिन वो पल गुजरा नहीं होता
यूं तो चंद लाइनें मैं लिख ही लेता हूँ हर रोज़
पर हर नई गज़ल में नया मिसरा नहीं होता
........रजनीश (15.04.2012)
बहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 16-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
ReplyDeleteमेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html
यूँ तो मिल जाती है जगह रात बिताने
ReplyDeleteपर हर चहारदीवारी में बसेरा नहीं होता.
बेहतरीन भाव से परिपूर्ण सुंदर प्रस्तुति.
प्रभावित करती हुयी पंक्तियाँ।
ReplyDeleteबहुत खूब... उम्दा अशार...
ReplyDeleteबहुत सटीक लिखा है
ReplyDeleteक्या कहने
ReplyDeleteबढिया
beautiful !
ReplyDeletehttp://alkanarula.blogspot.com
beautiful !
ReplyDeletehttp://alkanarula.blogspot.com
beautiful !
ReplyDeletehttp://alkanarula.blogspot.com
sahi baat
ReplyDeleteवाह...............
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल............
लाजवाब शेर..
यूँ तो मिल जाती है जगह रात बिताने
ReplyDeleteपर हर चहारदीवारी में बसेरा नहीं होता.
वाह !!! बहुत सुंदर प्रभावित करती रचना, रजनीश जी,आपकी पोस्ट पर आना अच्छा लगा
आपका फालोवर बन गया हूँ,आप भी बने मुझे हार्दिक खुशी होगी,..
आपका मेरे पोस्ट में स्वागत है...आइये...
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MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
बहुत खूबसूरत शेर...आभार !
ReplyDeleteA beautiful gazal indeed, Rajneesh!
ReplyDeletejab na ho kuch manmutabik to aah niklti hai
ReplyDeletejab ho aisi dilkash ghazal to wah nikalti hai...wah,..wah ..rajneesh jee..seedhee see baat na mirch masala..dil ka haal kahe dilwala..sadar badhayee..aaur aapki vyavastata badhit na jab tab apne blog par aane ka amantran bhee
bahut khub sabhi sher shandar
ReplyDeleteआप तो बेहतरीन लिखते हैं।
ReplyDeleteबहुत बढि़या ग़ज़ल।
सुन्दर प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत गज़ल .
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ...
बहुत ही सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeletebahut sundar ghazal
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