Sunday, April 15, 2012

कुछ शेर और थोड़े सच


इस जहाँ में किसी पर भरोसा नहीं होता
पर यहाँ पहरेदारों पर पहरा नहीं होता

यूं तो दुनिया भरी है चमक-ओ-दमक से
पर हर चमकता पत्थर हीरा नहीं होता

माना कुछ ऐसे ही रहे हैं तजुर्बे तुम्हारे
पर हर अजनबी साया लुटेरा नहीं होता

यूं तो मिल जाती है जगह रात बिताने
पर हर चहारदीवारी में बसेरा नहीं होता

भीतर झाँक लेते ना मिलता जहां ना सही
पर अपने चिराग तले अंधेरा नहीं होता

यूं तो रात के बाद सुबह आया करती है
पर हर अंधेरी रात का सबेरा नहीं होता

मुहब्बत अपने लिए हर आरज़ू अपने लिए
पर सच्चे प्यार का कोई दायरा नहीं होता

यूं तो ऊपर से दूर तलक दिखता है पानी
पर हर दरिया या सागर गहरा नहीं होता

बैठ लेता मैं अकेला उस खामोश तन्हाई में
पर तुम्हारी याद बिन वो पल गुजरा नहीं होता

यूं तो चंद लाइनें मैं लिख ही लेता हूँ हर रोज़
पर हर नई गज़ल में नया मिसरा नहीं होता
........रजनीश (15.04.2012)

22 comments:

  1. बहुत सुन्दर वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 16-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  2. आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
    मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
    अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
    दिनेश पारीक
    http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html

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  3. यूँ तो मिल जाती है जगह रात बिताने
    पर हर चहारदीवारी में बसेरा नहीं होता.

    बेहतरीन भाव से परिपूर्ण सुंदर प्रस्तुति.

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  4. प्रभावित करती हुयी पंक्तियाँ।

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  5. बहुत खूब... उम्दा अशार...

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  6. beautiful !
    http://alkanarula.blogspot.com

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    http://alkanarula.blogspot.com

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  8. beautiful !
    http://alkanarula.blogspot.com

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  9. वाह...............

    बेहतरीन गज़ल............

    लाजवाब शेर..

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  10. यूँ तो मिल जाती है जगह रात बिताने
    पर हर चहारदीवारी में बसेरा नहीं होता.

    वाह !!! बहुत सुंदर प्रभावित करती रचना, रजनीश जी,आपकी पोस्ट पर आना अच्छा लगा
    आपका फालोवर बन गया हूँ,आप भी बने मुझे हार्दिक खुशी होगी,..
    आपका मेरे पोस्ट में स्वागत है...आइये...
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  11. बहुत खूबसूरत शेर...आभार !

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  12. A beautiful gazal indeed, Rajneesh!

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  13. jab na ho kuch manmutabik to aah niklti hai
    jab ho aisi dilkash ghazal to wah nikalti hai...wah,..wah ..rajneesh jee..seedhee see baat na mirch masala..dil ka haal kahe dilwala..sadar badhayee..aaur aapki vyavastata badhit na jab tab apne blog par aane ka amantran bhee

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  14. bahut khub sabhi sher shandar

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  15. आप तो बेहतरीन लिखते हैं।
    बहुत बढि़या ग़ज़ल।

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  16. सुन्दर प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...

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  17. बेहद खूबसूरत गज़ल .
    बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ...

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  18. बहुत ही सुन्दर पोस्ट।

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...