एक अंकुर फूटा
और एक पौधे ने ली अँगड़ाई
एक कली खिली
अब खिल गई
सो खिल ही गई
एक पौधा निकल ही आया
बीज से बाहर
पौधा अब वापस बीज में
कभी नहीं जाएगा
बीज अब बीज रहा भी नहीं
बीज का यूं ना होना
पौधे के होने में समा गया
अब है एक ही रास्ता
पौधे के पास
अब हवा में झूमे
धूप ले पानी पिये
और ऊपर उठता जाए
बाहें फैलाये ,
बस बढ़ता ही जाए
और बन जाए एक पेड़
एक पेड़
जो बदलता पल पल
पर रहता है एक पेड़
अपने होने तक ,
हर पेड़ की अलग ऊँचाई
अलग चेहरा अलग चौड़ाई
पर सबका एक दायरा
वक्त में भी और वजूद में भी
पर बीज से ही बनता है हर पेड़
और बनता है सिर्फ पेड़ ही ,
गर कुछ पत्ते ज्यादा हों
बड़ें हो पत्ते फैली हों डालियाँ
कुछ तने अधिक मोटे
सुंदर फूल हों या लगे हों कांटे
पर पेड़ होता है सिर्फ पेड़
और कुछ नहीं
क्यूंकि पेड़ , पेड़ ही हो सकता है
होता है पेड़ झुंड में या अकेला
पर देखो आसमान से
तो कोई एकाकी नहीं
पेड़ों से भरी पड़ी है धरा
एक पेड़ का पूरा जीवन
समाया है सांस लेता है
निर्जीव से दिखते एक बीज में,
अगर बीज बोया नहीं
तो एक पेड़ नहीं बन पाता कभी पेड़
बीज एक गुल्लक है
जिसमें होते है समय के सिक्के
जीतने सिक्के उतना समय
गुल्लक का फूटना है जरूरी
एक बीज नहीं तो पेड़ नहीं
पेड़ नहीं तो बीज भी नहीं
पर इस चक्र में ही है जीवन
पेड़ और बीज नहीं
तो धरा , धरा नहीं
हर पेड़ बीज नहीं देता
हर बीज नहीं बन पाता पेड़
पर हर बीज और हर पेड़
एक संभावना है होने की
और संभावना है तो है जीवन
बस होना ही है सब कुछ
मैं यहाँ हूँ , तुम हो यहाँ
हमारा यहाँ होना ही है सब कुछ
जब तक हम हैं
तो खत्म नहीं होती संभावना
और जब तक हम होते हैं
हम ख़त्म नहीं होते
हमारे होने में है सब कुछ
और बस हमारे यहाँ होने में,
तो मनाओ उत्सव यहाँ होने का
क्यूंकि मैं हूँ यहाँ
तुम हो यहाँ
हम हैं यहाँ
हम हैं ...
रजनीश ( 27.09.2012)
(अपने ही जन्म दिवस 27 सितंबर पर )
जन्मदिन की शुभकामनायें ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteयदि सुरक्षित भूत में वापस नहीं जा सकते हैं तो, भविष्य को समझना और उसमें उतरना आवश्यक..
ReplyDeleteअनंत संभावनाएं लिए ...
ReplyDeleteसुंदर रचना ...शुभकामनायें ...!!
एक दूजे के अस्तित्व में स्वयं को तलाश करना ही सदा से मनुष्य की सतत यात्रा का कारण बना रहा है. जहाँ तक हम दूसरों के अस्तित्व को मानते रहते हैं,वहां तक संभावनाएं सदा बनी रहती हैं. यही शब्द जीवन यात्रा है,यही स्वयं के बने रहने का आधार "हम".................आम परिपाटी से हट कर लिखी गयी पंक्तियाँ स्वयं को सिद्ध कर गयी हैं.असरदार अभिव्यक्ति...........सुन्दर......बहुत खूब.
ReplyDeletekisi ka hona aur hone par kuchh kar dikhana hi uske hone ko darshata hai tabhi vo hona, hone ki pooranta prapt karta hai....varna uska hona n hona ek samaan....kaise koi jane ki vo hai ya tha.
ReplyDeleteRECENT POST : गीत,
ReplyDeleteसुंदर रचना ...शुभकामनायें ...!!
bahut sunder.....
ReplyDeleteबीज से पौधा , पौधे का होना वृक्ष ...यह जीवन भी इसी प्रकार बनता है .
ReplyDeleteखुश हो कि हम जीवन में हैं , अच्छी लगी यह आत्मगर्वित स्वीकारोक्ति !
जन्मदिन की बहुत शुभकामनायें !
जीवन की असीमित संभावनाओं की गहन बहुआयामी अभिव्यक्ति ...बहुत भाव पूर्ण
ReplyDeleteसादर !!!
बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteशुभकामनाएँ....
:-)
प्रभावशाली अभिव्यक्ति
ReplyDeleteHappy birth day Rajneesh! Nice poem!
ReplyDeletebahut achhi rachna....
ReplyDeleteand happy birthday.... sorry for the delay :-)
god bless u
anu