चलो ऐसा अफसाना लिखें
जिसके पन्नों पे हो
प्यार की दास्तां
संग चलने का वादा लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें
जिसके शब्दों में हो
प्यार का रंग बयां
डोर से बंधा वो नाता लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें
कभी कलम तुम बनो
कभी हाथ मैं बनूँ
कभी अल्फ़ाज़ तुम चुनो
कभी जज़्बात मैं चुनूँ
जिसे पढ़के मिल जाए
मुहब्बत का जहां
हरदम वफ़ा का रिश्ता लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें
जिसकी स्याही हो मीठी
पन्नों में हो महक
सोख ले आसुओं को
पढ़ने की हो ललक
और गुनगुना कर मिले
मुहब्बत को जुबां
प्यार में भीगा गाना लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें
जहां ना हुस्न ना शबाब
ना पर्दा ना नकाब
ना साक़ी ना शराब
ना सवाल ना जवाब
दिल से लिखा और दिल पर लिखा
प्यार भरा नज़राना लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें
....रजनीश (12.08.13)
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteऐसा ही लिखें... ऐसा ही जीयें!
ReplyDeleteप्यार का यह अफसाना बहुत अच्छा लगा..बधाई इस सुंदर रचना के लिए..
ReplyDeleteवाह !!! बहुत सुंदर रचना ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : जिन्दगी.
अब तो अफ्सानों से ही काम चलाना पड़ता है. सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteSundar kavita.
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteआपकी आशायें सच हो जायें।
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