Monday, August 12, 2013

चलो ऐसा अफसाना लिखें


चलो ऐसा अफसाना लिखें
जिसके पन्नों पे हो
प्यार की दास्तां
संग चलने का वादा लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें

चलो ऐसा अफसाना लिखें
जिसके शब्दों में हो
प्यार का रंग बयां
डोर से बंधा वो नाता लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें

चलो ऐसा अफसाना लिखें
कभी कलम तुम बनो
कभी हाथ मैं बनूँ
कभी अल्फ़ाज़ तुम चुनो
कभी जज़्बात मैं चुनूँ
जिसे पढ़के मिल जाए
मुहब्बत का जहां
हरदम वफ़ा का रिश्ता लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें

चलो ऐसा अफसाना लिखें
जिसकी स्याही हो मीठी
पन्नों में हो महक
सोख ले आसुओं को
पढ़ने की हो ललक
और गुनगुना कर मिले
मुहब्बत को जुबां
प्यार में भीगा गाना लिखें
चलो ऐसा अफसाना लिखें

चलो ऐसा अफसाना लिखें
जहां ना हुस्न ना शबाब
ना पर्दा ना नकाब
ना साक़ी ना शराब
ना सवाल ना जवाब
दिल से लिखा और दिल पर लिखा
प्यार भरा नज़राना लिखें

 चलो ऐसा अफसाना लिखें
....रजनीश (12.08.13)

8 comments:

  1. ऐसा ही लिखें... ऐसा ही जीयें!

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  2. प्यार का यह अफसाना बहुत अच्छा लगा..बधाई इस सुंदर रचना के लिए..

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  3. अब तो अफ्सानों से ही काम चलाना पड़ता है. सुंदर प्रस्तुति.

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  4. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  5. आपकी आशायें सच हो जायें।

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...