Sunday, March 8, 2015

बस एक दिन


बस एक दिन
कर दिया उसके नाम
जिसका एहसानमंद है
मेरा हर दिन

बस एक दिन
क्यूँ मनाता हूँ उसका उत्सव
जिसकी वजह से उत्सव
मेरा हर दिन

बस एक दिन
करता हूँ बखान जिसके वजूद का
जिसकी देन है मेरा वजूद
मेरा हर दिन

बस एक दिन
याद करता हूँ जिसकी शक्ति
उस ऊर्जा के सहारे है
मेरा हर दिन

बस एक दिन
उसका जो करता है सब पूरा
जिसके बिना अधूरा
मेरा हर दिन

बस एक दिन
आधी कायनात के लिए
जिसके साये में गुजरता
मेरा हर दिन


बस एक दिन ....
.....रजनीश (08.03.15).....
.........अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 

1 comment:

  1. बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने,
    अद्वितीय ....

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...