Sunday, May 28, 2017

एक उलझन

कविता के लिए वक्त निकालना
आपाधापी भरी जिंदगी में
कुछ पल अपने लिए तलाशना है
कविता एक चाहत है ,
अनुभूतियों को आयाम देना ,
शब्दों से खेलना और बातें करना है
पर और भी बहुत कुछ है
करने के लिए जिंदगी में
वक्त कम और चाहतें ज्यादा
कविता केवल अपनी डायरी तो नहीं
कि जो महसूस किया
जहाँ से गुजरा
जिस पल को जिया
बस लिख दिया
जो मैं जी रहा हूँ, जिंदगी सिर्फ वही तो नहीं
पल एक पर अनुभूतियाँ असंख्य
कविता मे उन्हें भी तो उकेरना है
याने ये लम्बी फेरहिस्त मे जुडा
एक और काम
फिर कविता कहाँ रह जाती है अपने लिए
और फुरसत के पलों में जज़्बातो के साथ जूझना
कहाँ सुकून दे सकता है
कविता लिखना भी एक संघर्ष से कम नहीं
रजनीश (28/05/17)

5 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 28 जुलाई 2018 को लिंक की जाएगी ....http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...