रोज सोता हूं 
कुछ मुसीबतों को सिरहाने रख 
सुबह उठता हूं 
तो साथ हो लेती हैं मुसीबतें 
कुछ खत्म हो जाती हैं
कुछ नई जुड़ जाती हैं 
कुछ बनी रहती हैं साथ लंबे वक्त तक 
मुसीबतें भी रहा करती हैं 
सांसों , यादों और सपनों के साथ 
 मुसीबतें क्यों है इतनी
 एक जिंदगी में
 पग पग पर मुसीबतें 
 एक खत्म नहीं हुई 
 कि दूसरी शुरू
 जिंदगी जैसे बहता हुआ दरिया नहीं
 बल्कि मुसीबतों का पहाड़ हो
 मुसीबतें कुछ यूं जुड़ी रहती हैं 
 जैसे जनम जनम का नाता हो 
जिंदगी मिलने में मुसीबत
जिंदगी मिल जाने पर मुसीबत
जिंदगी के साथ मुसीबत
जिंदगी के  बाद मुसीबत
कभी धूप मुसीबत 
तो कभी छांव मुसीबत
कभी जंगल मुसीबत
तो कभी गांव मुसीबत 
कभी दिन का ना ढलना मुसीबत 
कभी दिन का ढल जाना मुसीबत
रास्ता ना मिलना एक मुसीबत 
कभी रास्ते का मिल जाना ही मुसीबत
एक मुसीबत हो तो मुसीबत 
कोई मुसीबत ना हो तो भी मुसीबत
मुसीबत हल ना होना एक मुसीबत
कभी मुसीबत का हल भी एक मुसीबत
कभी अकेली होती है मुसीबत
तो कभी उसके साथ सहेली
कभी बिन बुलाए चली आती है
कभी बुलाने से आती है मुसीबत
कभी कुछ मिल जाना मुसीबत 
कभी कुछ खो जाना मुसीबत
कभी साथ मुसीबत 
कभी अकेलापन मुसीबत
कुछ मुसीबतों का एहसास नहीं होता
कुछ मुसीबतों की आदत हो जाती है 
कुछ मुसीबतें जीने नहीं देती 
कुछ मुसीबतें जीना सिखा देती हैं
कुछ मुसीबतें झेल लेते हैं हंसते हंसते
कुछ मुसीबतों  से भागते हैं हम 
कुछ मुसीबतें खुशियां देती हैं
कुछ मुसीबतें रुला देती हैं
क्यूं होती हैं मुसीबतें 
ये सवाल ही एक मुसीबत 
फिर लगता है इतनी मुसीबतें है 
तो कोई मकसद तो होना चहिए इनका 
सोचता हूं ,क्या होता गर मुसीबतें ना होती 
जिंदगी एक मुसीबत बन जाती 
मुसीबत तो सांस लेने में भी है
मुसीबत नहीं तो सांस भी थमी
जीवन क्रिया है मुसीबत प्रतिक्रिया है 
जीवन गति मुसीबत प्रतिरोध है 
सांसों के अलावा जो जरूरी है 
जिंदगी के लिए वो है मुसीबतें
सांसें और मुसीबतें  जैसे चोली दामन 
बिना मुसीबतों के नहीं है जीवन 
नाम बुरा लगता है मुसीबत 
पर मुसीबतें बुरी नहीं 
मुसीबतें जरूरी है जिंदगी के लिए
दरअसल मुसीबत कोई मुसीबत ही नहीं !!
............रजनीश (०२ अक्टूबर, २०२०)
  
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 03 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआखिर में जाकर तो मुसीबत की जगह मेहर पढ़ने को जी चाहता है
ReplyDeleteसुन्दर
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