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Monday, January 31, 2011
एक अफ़साना
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हर रोज़ ये गुनाह मैं सौ बार करता हूँ, वो नहीं इस रास्ते , क्यूँ इंतजार करता हूँ... सपना था कि कभी मिलके चलेंगे दो कदम, हँस के कहा...
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