एक दिन, चढ़ गया है..
एक पत्ता, झड़ गया है..
एक दोस्ती, टूट गयी है..
एक डोर, छूट गयी है..
एक पता, गुम गया है..
एक रास्ता, रुक गया है..
एक रंग , धुल गया है..
एक बंधन, खुल गया है..
एक कमरा, खाली है..
एक क़रार, जाली है..
एक किस्मत, रूठी है..
एक मुस्कान, झूठी है..
एक रिश्ता, अज़ीब है..
एक दिल, गरीब है..
एक डगर, अनजानी है..
एक सौदा, बेमानी है..
एक रात , बहुत लंबी है..
एक बात , बहुत लंबी है..
...............
...............
एक मयखाना , वहाँ साक़ी है..
एक जाम , अभी बाकी है..
एक सपना, अधूरा है..
एक पन्ना, कोरा है..
एक आस , अभी ज़िंदा है..
एक इंसान, शर्मिंदा है..
एक धड़कन, मचलती है..
एक ज़िंदगी, चलती है ..…..
………………..रजनीश (06.02.2011)
very nice.
ReplyDeleteek insan jida hai ? kash ......
ReplyDeleteपंक्ति-पंक्ति अति सुन्दर ......प्रखर
ReplyDeletevery nice lines..
ReplyDeleteबहुत कुछ कहती सी, बहुत कुछ भोगने की व्यथा सुनाती सी बेहद मर्मस्पर्शी रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
सुन्दर शब्द संयोजन...
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