Thursday, May 12, 2011

विडम्बना

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आदमी की दिमाग
उसे खास बनाता है
और  यही बलशाली पुर्जा
उसका सर्वनाश करता है...

कुत्ते की विशेषता
अधिक घ्राणशक्ति होती है
कुत्ता भी बेमौत मरता है
कारण एक गंध होती है... 

जो होती है ख़ासियत
वही अंत करती है
लगती विडम्बना है,
धरा संतुलन करती है ...
...रजनीश (10.05.11)

3 comments:

  1. such dhra santulit hoti hai... bhut acchi panktiya aur thought hai...

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  2. बहुत बढ़िया विचार प्रस्तुत किये हैं सर!


    सादर

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