Monday, June 13, 2011

एक छुट्टी का दिन

mobilednload 117
कुछ यादों की सिलवटें
कुछ उनींदें सपनों की उलझी लटें
कुछ गुफ़्तगू पुराने होते घर से
थोड़ा टीवी के साथ करवटें

कुछ बोरियत भरे लम्हों से लड़ाई
कुछ अहसासों से हाथापाई
कुछ बाहर-भीतर भरी रद्दी की छंटाई
थोड़ी मकड़जालों में फंसी ज़िंदगी की सफाई

कुछ अपनों से बातें
कुछ अपनी बातों की बातें
कुछ चाही-अनचाही मुलाकातें
थोड़ी  वक़्त को थाम लेने  की कोशिशें

कुछ गाने चाय के प्यालों में
कुछ पिछली  अधूरी साँसें
कुछ फिक्र को उड़ाते पलों से यारी
थोड़ी कोशिश खुद को जीने की हमारी

थोड़ी मुहब्बत थोड़ी इबादत
थोड़ी मरम्मत  थोड़ी हजामत
थोड़ा  काम थोड़ा आराम
अलसाई सुबह एक मुट्ठी शाम
...रजनीश (13.06.11)

9 comments:

  1. छुट्टी का दिन अच्छा बीता ...

    ReplyDelete
  2. कुछ गाने चाय के प्यालों में
    कुछ पिछली अधूरी साँसें
    कुछ फिक्र को उड़ाते पलों से यारी
    थोड़ी कोशिश खुद को जीने की हमारी
    aapki kalam ghar aur sahaj vatavaran mein dubki laga aati hai, aur sab apna apna sa lagta hai

    ReplyDelete
  3. कुछ बोरियत भरे लम्हों से लड़ाई
    कुछ अहसासों से हाथापाई
    कुछ बाहर-भीतर भरी रद्दी की छंटाई
    थोड़ी मकड़जालों में फंसी ज़िंदगी की सफाई

    Chhutti ke din ka behtreen shabdik chitran.....

    ReplyDelete
  4. कुछ गाने चाय के प्यालों में
    कुछ पिछली अधूरी साँसें
    कुछ फिक्र को उड़ाते पलों से यारी
    थोड़ी कोशिश खुद को जीने की हमारी


    यथार्थ के धरातल पर रची गयी एक सार्थक सुन्दर रचना....

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर ! वाह के सिवा क्या कहें...

    ReplyDelete
  6. Holidays... Love even the sound of it.
    Beautifully expressed.
    Now I am feeling ... Sunday come soon :)

    ReplyDelete
  7. बहुत ही खूबसूरत...

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...