Saturday, July 16, 2011

मैं ( पुन:)

माफ कीजिएगा , पुन: एक पुरानी पोस्ट ...

क्या ये मैं हूँ,mysnaps_diwali 019
ये तो प्यार की चाहत है,
जो करती है प्रेम !
ये देने वाला मैं नहीं ,
ये तो इच्छा है , पाने की;
ये मैं नहीं ,
बेबसी जो करती है गुस्सा;




mysnaps_diwali 005ये मैं नहीं ,
विचार कर रहे संघर्ष;
ये मैं नहीं,
डर है, जो दिखाता अपनापन ;
ये मैं नहीं
है  कमजोरी , जो करती है हिंसा



021209 212

ये मैं नहीं ,
अज्ञान है जो करता विवाद;
ये मैं नहीं ,ये तो  दंभ है
जो लड़ता है किसी और दंभ से ...
ये मैं नहीं ,
ये अधूरापन है जो
करता है ईर्ष्या,

mysnaps_diwali 006

ये मैं तो नहीं ,
खुश होती केवल इंद्रियां ,
ये मैं  नहीं,
तुम्हें बुरी लगती है
मेरी बोलने की आदत;


 DSCN1674

तुम्हें मुझसे नहीं ,
ईर्ष्या है  विजय से;
तुम मुझसे नहीं,
नाराज हो दंभ से;
ये मैं नहीं,
शायद तुम्हें पसंद है  सादगी ,



DSCN1678ये मैं नहीं ,
शायद  संगीत तुम्हें नचाता है,
ये मैं नहीं,
तुम्हारा विरोध है परिस्थिति से,
ये मैं नहीं ,
तुम शायद खफा हो किस्मत से,



IMAG0487
ये मैं नहीं ,वो मै नहीं,
फिर मैं हूँ कौन?
मैं क्या हूँ...
याने  ...रजनीश!!
नहीं...ये तो संज्ञा है, एक संबोधन ...
भावनाओं /परिस्थितियों की एक गठरी का  नाम है
'पर ये सिर्फ मेरी तो नहीं तुममें भी हैं , तुम्हारी भी हैं ....
फिर मैं कहाँ हूँ ?
और बाई-दि-वे, तुम कहाँ हो ??
.....रजनीश (06.12.10)

25 comments:

  1. वाह ! बहुत सुंदर ! इसी को तो शास्त्रों में नेति नेति कहते हैं, सबको नकार कर कुछ भी तो नहीं बचता वही तो हम हैं शायद खाली एक शून्य मात्र !

    ReplyDelete
  2. पुरानी पोस्ट ?
    नहीं भाई
    मैंने तो अभी-अभी पढ़ी --
    पर आप बोलेंगे --
    मैं
    मैं कौन
    बस हो गया मौन ||
    चलो खोजते हैं इस मैं और उस तुम को

    ReplyDelete
  3. और बाई-दि-वे, तुम कहाँ हो ??
    wah.kya line hai......

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर रचना...महोदय आपकी यह उत्कृष्ट रचना दिनांक 19-07-2011 को मंगलवारीय चर्चा में चार्चा मंच पर भी होगी कृपया आप इस http://charchamanch.blogspot.com/ लिंक पर पधार कर अपने सुझावों से अवगत कराएं

    ReplyDelete
  5. बेहतरीन अभिवयक्ति...

    ReplyDelete
  6. निर्वैयक्तिक भावों के बावजूद कविता आकर्षित करती है !

    ReplyDelete
  7. कल 18/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  8. भाई रजनीश जी बहुत अच्छा लिखते हैं आप बधाई और शुभकामनायें |

    ReplyDelete
  9. आपकी पुरानी पोस्ट तो नहीं पढ़ सकी अभी पढ़ने का मौका देने के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete
  10. बहुत गहन चिंतन...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete
  11. बहुत ही सुन्दर रचना!

    ReplyDelete
  12. bahut hi sunder abhi byakti.sunder chitron ka chyan.badhaai aapko.





    please visit my blog.thanks.

    ReplyDelete
  13. main to aapko pahli baar padh rahi hoon.bahut achchi abhivyakti.bahut achchi rachna hai.aapki photography bhi kaabile tareef hai.

    ReplyDelete
  14. आपकी पुरानी पोस्ट तो नहीं पढ़ सकी अभी पढ़ने का मौका देने के लिए धन्यवाद||

    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

    आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.

    अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

    ReplyDelete
  15. अपने विचारो को बहुत ही बेहतरीन तरीके से परोसा है आपने

    ReplyDelete
  16. वाह ...बहुत ही खूबसूरत यह सचित्र प्रस्‍तुति बेहतरीन ।

    ReplyDelete
  17. खुद को तलाश करती रचना ... लाजवाब ...

    ReplyDelete
  18. खुबसूरत अभिव्यक्ति रजनीश जी,
    सादर...

    ReplyDelete
  19. शानदार अभिव्यक्ति!!!

    ReplyDelete
  20. अच्छा हुआ की आप मेरे ब्लॉग में आये वरना आपके ब्लॉग तक पहुँचने में और वक्त शायद लग जाता.... कविता बहुत अच्छी लगी उससे ज्यादा अच्छे लगे आपके द्वारा खींचे गए तस्वीरों का सिलसिला. बहुत सुन्दर तस्वीरें है सभी.... एक पल को कैद करना यह कला आपमें खूब है....

    ReplyDelete

टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...