Tuesday, October 4, 2011

महात्मा

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एक चश्मा
एक लाठी
एक धोती
एक घड़ी
एक जोड़ी चप्पल
एक दुबली पतली काया
एक विशाल व्यक्तित्व
एक सिद्धान्त
एक विचार
एक विशिष्ट जीवन
एक दृष्टा
एक पथ प्रदर्शक
एक रोशनी
एक क्रांतिकारी
एक महामानव
एक महात्मा
...
आज फिर है सपनों में
उसे लौटना होगा
फिर बनाना होगा थोड़ा नमक
कुछ सूत कातना रह गया है बाकी
एक और यात्रा शेष
सत्य के साथ एक और प्रयोग
उस जैसा कोई नहीं
जो पीर पराई जाने
...रजनीश ( 2 अक्तूबर गांधी जयंती पर )

11 comments:

  1. आना ही होगा महात्मा. बेहतरीन प्रस्तुति

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  2. बढ़िया प्रस्तुति ||

    आपको --
    हमारी बहुत बहुत बधाई ||

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  3. बापू, तुम्हे प्रणाम।

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  4. वाह बहुत अच्छी कविता

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  5. बहुत सार्थक कविता| आप को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  6. मर्मस्पर्सी

    सुन्दर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण.

    आभार

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  7. बहुत सुंदर ! थोड़े से शब्दों में बापू का पूरा जीवन दर्शन आपने प्रस्तुत कर दिया है.. एक बापू हममें से हर एक के भीतर है...

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  8. सच कहा है .. पर आज गांधी को अपने कुछ सिद्धांत बदल कर आना होगा ...

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  9. उम्मीदों का सुनहरा आँगन ...ऐसे ही सजाये रखियेगा ...

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...