जहां सवालों के हल में होते हैं ढेरों सवाल
और एक सवाल में मिल जाता है
किसी और सवाल का जवाब
न होते हैं एक और एक ग्यारह
न होते हैं एक और एक दो
यहाँ गणित के नियम तय नहीं होते
अपना अपना तजुर्बा ...
जैसे कुछ जोड़ा तो कुछ घट सा गया
जब कुछ छूटा तब कुछ पास निकला
जो दिल से बांटा वो बेहिसाब बढ़ा
जिसे सहेजा वो हर बार कम निकला
हिसाब जब जब लगा कर हमने देखा
सूद हमेशा असल से ज्यादा निकला
....रजनीश (31.10.11)
जीवन का गणित अलग ही है... गणितीय नियमों से परे!
ReplyDeleteजीवन का गणित अनोखा है
ReplyDeletejab joda ghata
ReplyDeletechhuta to kuch mila ... yahi jivan kram hai
so beautifully presented,i read it twice....
ReplyDeleteबड़ा ही पेचीदा है जीवन का सवाल।
ReplyDeleteज़िंदगी के गणित में २ और २ मिल कर पाँच भी हो जाते हैं ..
ReplyDeleteबहुत खूब... जिंदगी ने हमें बेहिसाब दिया है.. अनंत है जीवन और अनंत का कोई गणितीय जोड़ घटाव नहीं होता...
ReplyDeleteganit par ek naya drishtikon....bahut achcha laga.
ReplyDeleteजिंदगी की जद्दोजहद पर सुन्दर प्रस्तुति ...
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