Tuesday, November 1, 2011

गणित

बस कुछ लाइनें ज़िंदगी के गणित पर
जहां सवालों के हल में होते हैं ढेरों सवाल
और एक सवाल में मिल जाता है
किसी और सवाल का जवाब
न होते हैं एक और एक ग्यारह
न होते हैं एक और एक दो
यहाँ गणित के नियम तय नहीं होते
अपना अपना तजुर्बा ...

जैसे कुछ जोड़ा तो कुछ घट सा गया
जब कुछ छूटा तब  कुछ पास निकला 
जो दिल से बांटा वो बेहिसाब बढ़ा
जिसे सहेजा वो हर बार कम निकला
हिसाब  जब जब लगा कर हमने देखा
सूद हमेशा असल से ज्यादा निकला
....रजनीश (31.10.11)

9 comments:

  1. जीवन का गणित अलग ही है... गणितीय नियमों से परे!

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  2. जीवन का गणित अनोखा है

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  3. jab joda ghata
    chhuta to kuch mila ... yahi jivan kram hai

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  4. so beautifully presented,i read it twice....

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  5. बड़ा ही पेचीदा है जीवन का सवाल।

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  6. ज़िंदगी के गणित में २ और २ मिल कर पाँच भी हो जाते हैं ..

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  7. बहुत खूब... जिंदगी ने हमें बेहिसाब दिया है.. अनंत है जीवन और अनंत का कोई गणितीय जोड़ घटाव नहीं होता...

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  8. ganit par ek naya drishtikon....bahut achcha laga.

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  9. जिंदगी की जद्दोजहद पर सुन्दर प्रस्तुति ...

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...