कुछ रुका सा कुछ थका सा
कुछ चुभा सा कुछ फंसा सा
ये पल लगता है ...
कुछ बुझा सा कुछ ठगा सा
कुछ घिसा सा कुछ पिसा सा
ये पल लगता है ...
कुछ गिरा सा कुछ फिरा सा
कुछ दबा सा कुछ पिटा सा
ये पल लगता है ...
दिल में है कुछ बात
जो इस पल से हाथ मिला बैठी
हाथ न आएगा अब जरा सा
ये पल लगता है ...
धूप ठहरती नहीं
न ही रुक पाती है रातें
गुजर जाएगा झोंका निरा सा
ये पल लगता है ...
.....रजनीश ( 20.11.2011)
kyun lagta hai sabko aisa ....
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteभावपूर्ण ....
ReplyDeleteछाई चर्चामंच पर, प्रस्तुति यह उत्कृष्ट |
ReplyDeleteसोमवार को बाचिये, पलटे आकर पृष्ट ||
charchamanch.blogspot.com
पल की दास्तान का सुंदर सच्चा बयान!
ReplyDeleteपल पल ऐसा ही लगता है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत खूब, सब बहाये लिये जा रहा है, समय का प्रवाह।
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteपल की दास्तान ........
ReplyDeleteकल 22/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
क्या खूब आदरणीय रजनीश भाई...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति....
सादर...
जब जब ऐसा लगता है.. भीतर कोई तकता है
ReplyDeleteवाह क्या खूब लिखा है !!
ReplyDeletebahut khoob...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर !
ReplyDeleteबढ़िया रचना
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति ..पलो की दास्तान....
ReplyDeletekuch pal sachmuch aise hote hai......behad sundar..........
ReplyDeletebvahut khub..
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
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