Monday, December 12, 2011

दिल का रिश्ता


आज छूकर देखा 
कुछ पुरानी दीवारों को 
सीलन भरी 
जिसमें दीमक के घरों से
बनी हुई थी एक तस्वीर
बीत चुके वक्त की 

आज एक पुराने फर्श पर
फैली धूल पर चला 
उस परत के नीचे
अब भी मौजूद थे 
मेरे चलने के निशान
कुछ जाले लिपट गए
मेरे हाथों से 
मकड़जालों के पीछे 
अब भी जीवित था 
अपनापन लिए एक मकान

धूल झाड़ी
जालों को हटाया
सो रही दीवारों को झिंझोड़ा
किए साफ कुछ वीरानगी के दाग
बिखरे हिस्सों को समेटा
 कुछ परतों को उखाड़ा

और पुराना वक्त 
फिर लौट आया 
दीवारों पर उभरे 
कुछ चेहरे 
जी उठी दीवार
सांस लेने लगी जमीन 
परदों से झाँकने लगे 
पुराने सपने 
कुछ पुरानी ख्वाहिशें 
कुछ पुराने मलाल 
खट्टी-मीठी यादों की गंध 
फैल गई हर कोने 

दिल का रिश्ता 
सिर्फ दिल से ही नहीं 
दीवारों से भी होता है ..  
रजनीश (12.12.2011)   

28 comments:

  1. दिल की राहें, बड़ी कठिन हैं,
    कुछ दिख कर भी छिप जाती हैं।

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  2. खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |

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  3. एहसास खूबसूरती से लिखे हैं ..

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  4. बहुत भावपूर्ण दिल का रिश्ता !

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  5. दिल का रिश्ता तो किसी से भी हो सकता है... इंसान को कमरे में पड़ी एक कुर्सी से प्यार हो जाता है!
    बेहद सुन्दर एहसास!

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  6. अति सुन्दर |
    शुभकामनाएं ||

    dcgpthravikar.blogspot.com

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  7. गहन अभिव्यक्ति..........

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  8. दिल पर सीधे असर करने वाली रचना अपनेपन का एक अहसास , बहुत सुंदर

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  9. बहुत खुबसूरत और लगाव से सरोबर रचना .

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  10. सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  11. बेहतरीन अल्फाजो को पिरोकर बनाई सुंदर रचना,..
    जज्बातों की अच्छी प्रस्तुती,.....
    काव्यान्जलि मे click करे

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  12. जब भी आपके पोस्ट पर आया हूँ, हर समय कुछ न कुछ सीखने वाला चीज मिला है। यह पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद

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  13. bahut hi sunder shbdon aur bhavon se saji kavita bahut aanad aaya badhai
    rachana

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  14. दिल का रिश्ता हर उस चीज से होता है जो यादों से जुडी हो ...कुछ खट्टी कुछ मीठी !
    यही जीवन है !
    शुभकामनायें आपको !

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  15. यादे पुरानी नयी नहीं होती बस समय की धुल होती है कभी ज्यादा तो कभी कम

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  16. सुन्दर .....बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति..., मेरे ब्लांग मे आने के लिए आभार..नई पोस्ट मे भी आप का स्वागत है...धन्यवाद...

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  17. सच कहा दिल का रिश्ता दीवारों से भी होता है, जिनमें यादें ठहरी होती हैं. बहुत सुन्दर रचना, शुभकामनाएं.

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  18. फैली हुयी धूल की परत के नीचे के निशानों से उद्भूत, दीवारों से दिल तक बातें बतियाती शानदार कविता पढ़वाने के लिए आभार रजनीश भाई।

    आप मेरे ब्लॉग पर पधारे उस के लिए बहुत बहुत आभार।

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  19. बहुत मर्मस्पर्शी भावपूर्ण रचना...

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...