आज छूकर देखा
कुछ पुरानी दीवारों को
सीलन भरी
जिसमें दीमक के घरों से
बनी हुई थी एक तस्वीर
बीत चुके वक्त की
आज एक पुराने फर्श पर
फैली धूल पर चला
उस परत के नीचे
अब भी मौजूद थे
मेरे चलने के निशान
कुछ जाले लिपट गए
मेरे हाथों से
कुछ जाले लिपट गए
मेरे हाथों से
मकड़जालों के पीछे
अब भी जीवित था
अपनापन लिए एक मकान
धूल झाड़ी
जालों को हटाया
सो रही दीवारों को झिंझोड़ा
किए साफ कुछ वीरानगी के दाग
बिखरे हिस्सों को समेटा
कुछ परतों को उखाड़ा
सो रही दीवारों को झिंझोड़ा
किए साफ कुछ वीरानगी के दाग
बिखरे हिस्सों को समेटा
कुछ परतों को उखाड़ा
और पुराना वक्त
फिर लौट आया
दीवारों पर उभरे
कुछ चेहरे
जी उठी दीवार
सांस लेने लगी जमीन
सांस लेने लगी जमीन
परदों से झाँकने लगे
पुराने सपने
कुछ पुरानी ख्वाहिशें
कुछ पुराने मलाल
खट्टी-मीठी यादों की गंध
फैल गई हर कोने
दिल का रिश्ता
सिर्फ दिल से ही नहीं
दीवारों से भी होता है ..
रजनीश (12.12.2011)
gahan ehsaason ki abhivyakti
ReplyDeleteदिल की राहें, बड़ी कठिन हैं,
ReplyDeleteकुछ दिख कर भी छिप जाती हैं।
खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
ReplyDeleteएहसास खूबसूरती से लिखे हैं ..
ReplyDeletebehad khoobsurat......
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण दिल का रिश्ता !
ReplyDeleteदिल का रिश्ता तो किसी से भी हो सकता है... इंसान को कमरे में पड़ी एक कुर्सी से प्यार हो जाता है!
ReplyDeleteबेहद सुन्दर एहसास!
अति सुन्दर |
ReplyDeleteशुभकामनाएं ||
dcgpthravikar.blogspot.com
गहन अभिव्यक्ति..........
ReplyDeleteदिल पर सीधे असर करने वाली रचना अपनेपन का एक अहसास , बहुत सुंदर
ReplyDeletebahut sundar tiwari ji
ReplyDeletebhaut hi khubsurat rachna........
ReplyDeletedil ko chhoo gayi apki kavita
ReplyDeletevah tiwari ji ...bahut sundar ,,,abhar.
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत और लगाव से सरोबर रचना .
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteBahut sundar abhivyakti
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबेहतरीन अल्फाजो को पिरोकर बनाई सुंदर रचना,..
ReplyDeleteजज्बातों की अच्छी प्रस्तुती,.....
काव्यान्जलि मे click करे
जब भी आपके पोस्ट पर आया हूँ, हर समय कुछ न कुछ सीखने वाला चीज मिला है। यह पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद
ReplyDeletebahut hi sunder shbdon aur bhavon se saji kavita bahut aanad aaya badhai
ReplyDeleterachana
दिल का रिश्ता हर उस चीज से होता है जो यादों से जुडी हो ...कुछ खट्टी कुछ मीठी !
ReplyDeleteयही जीवन है !
शुभकामनायें आपको !
यादे पुरानी नयी नहीं होती बस समय की धुल होती है कभी ज्यादा तो कभी कम
ReplyDeleteसुन्दर .....बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति..., मेरे ब्लांग मे आने के लिए आभार..नई पोस्ट मे भी आप का स्वागत है...धन्यवाद...
ReplyDeleteसच कहा दिल का रिश्ता दीवारों से भी होता है, जिनमें यादें ठहरी होती हैं. बहुत सुन्दर रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteफैली हुयी धूल की परत के नीचे के निशानों से उद्भूत, दीवारों से दिल तक बातें बतियाती शानदार कविता पढ़वाने के लिए आभार रजनीश भाई।
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पर पधारे उस के लिए बहुत बहुत आभार।
बहुत मर्मस्पर्शी भावपूर्ण रचना...
ReplyDeletegahare bhav se likhi sundar rachana hai...
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