Monday, January 16, 2012

नज़रें प्यार भरी


तुम्हें देख सकता  हूँ 
तुम्हें सुन सकता हूँ 
महसूस कर सकता हूँ तुम्हें 
तुम्हें छू सकता हूँ 
तुम्हें बसा सकता हूँ दिल में 

पर समझ नहीं सकता तुम्हें 
तुम्हें जान नहीं सकता पूरा 

क्यूंकि कभी हृदय आड़े आता है 
या फिर कभी ये मस्तिष्क 
कुछ  सीमाएं हैं मेरी भी समझ की 
कुछ तुम हो अव्यक्त 
कुछ हिस्सा तुम्हारा अदृश्य 
तुम्हारे कुछ कंपनों का 
आभास ही नहीं होता

पर क्या ये जरूरी है 
कि हो कुछ उस जीती जागती 
तस्वीर के अलावा भी
जो मैं देखता हूँ , छूता  हूँ , महसूस करता हूँ 

क्या होता गर सब कुछ पता होता 
मैं सब कुछ जान लेता 
खुद को भी और तुम्हें भी 
पूरा का पूरा पहचान लेता 

तुम्हारे प्यार के एहसास के लिए 
दिल पर विश्वास करता हूँ 
तुम्हारी आँखों में 
प्रेम का छलकता सागर देखता हूँ 
और सब कुछ प्रेम मय पाता हूँ 

गर सब कुछ जान जाता तो 
पता नहीं प्यार की क्या परिभाषा होती 
गहराई में उतरना  और मोती ढूँढना 
शायद दूर ले जाए खुद से भी 
क्यूंकि खोज तो अनंत होती है 
अहसासों से परे ...
सच की परतें उधेड़ते
भ्रम और प्रश्नों की 
कई और दीवारें
 खड़ी होती चली जाती हैं 

और यात्रा तारों से भी 
दूर की हो जाती है ...

चलो फूल को फूल ही रहने दें 
उसकी पंखुड़ियाँ तोड़ 
सुंदरता ना तलाशें 
आओ स्वीकारें एक दूसरे को 
बिलकुल वैसा और जितना 
 हम समझते हैं 

मैं नहीं देख सकता पूरा-पूरा 
मैं झांक भविष्य के घर में 
पहचान नहीं सकता कल की तस्वीर 
शायद इसीलिए कि 
एहसास जिंदा रहें 
और ज़िंदगी में हो 
रोमांच और दिलचस्पी 

इसीलिए छोड़ दो विश्लेषण 
प्यार के मोती पिरो लो 
विश्वास के धागे में 
देखो प्यार भरी नजरों से
हर तरफ फैला हुआ प्यार 
और हर पल में बसे 
आनंद को जी लो 
जी भर के ....
....रजनीश ( 16.01.2012)

16 comments:

  1. कौन कब किसको पूरा समझा है ..बस प्यार बना रहे काफी है ..अच्छी अभिव्यक्ति

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  2. बहुत सुन्दर तिवारी जी , यथार्थ भावपूर्ण कविता - आभार.

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  3. बहुत सुन्दर तिवारी जी , यथार्थ भावपूर्ण कविता - आभार.

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  4. बहुत सुन्दर तिवारी जी , यथार्थ भावपूर्ण कविता - आभार.

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  5. बहुत सुन्दर तिवारी जी , यथार्थ भावपूर्ण कविता - आभार.

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  6. काश हृदय ही जीते इन द्वन्द्वों में...

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति !

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  8. प्यार दिल से किया जाता है...इसमें दिमाग की दखलंदाजी न हो यही अच्छा है..

    बेहतरीन रचना..

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  9. प्यार की गहराइयाँ अनन्त होती हैं।

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  10. बहुत सुंदर कविता...जिंदगी में बहुत कुछ रहस्यमय है और यही तो उसका आकर्षण है...

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  11. सही है ...ऐसी ही सोच रखें तो अच्छा है

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  12. रिश्तो में विश्लेषण ना हि हो तो अच्छा है
    रिश्ते दिल के अहसास से हो तो बहूत खुबसुरत होते है.
    लाजवाब रचना ..
    mauryareena.blogspot.com

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  13. bahut achhi kavita hai...jeene ke liye kuch bhram bhi zaroori hote hain

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  14. A topic near to my heart thanks, ive been wondering about this subject for a while.

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...