दूर से मिलते आकर और चले जाते हैं दूर
दूर से ही दूर क्यों सीधे निकल नहीं जाते
दुहाई रिश्तों की और बयां हमनिवाला दिनों का
जाया करते हैं वक़्त क्यों मुद्दे पर नहीं आते
सारी रात चले महफिल और उनकी जाने की रट
पर जमे रहते हैं क्यों उठकर चले नहीं जाते
वादा मदद का और साथ मुश्किलों का बखानतकल्लुफ छोडकर क्यों सीधे पैसों पर नहीं आते
मुंह में राम राम और बगल में रखें रामपुरिया
पीठ पर ही वार क्यों सीने में घोप नहीं जाते
जो मिला न उनको और वही मिल गया हमको
फ़ीका मुस्कुराते हैं क्यों सीधे जल नहीं जाते
आँखों से टपके आँसू और कलेजे में पड़ी है ठंडक
छोड़ गमगुसारी क्यों जाकर खुशियाँ नहीं मनाते
छुपता नहीं छुपाने से और चेहरे से बयां हो जाता है
मुखौटे बदलते हैं क्यों ये बात समझ नहीं पाते
मुंह में राम राम और बगल में रखें रामपुरिया
पीठ पर ही वार क्यों सीने में घोप नहीं जाते
जो मिला न उनको और वही मिल गया हमको
फ़ीका मुस्कुराते हैं क्यों सीधे जल नहीं जाते
आँखों से टपके आँसू और कलेजे में पड़ी है ठंडक
छोड़ गमगुसारी क्यों जाकर खुशियाँ नहीं मनाते
छुपता नहीं छुपाने से और चेहरे से बयां हो जाता है
मुखौटे बदलते हैं क्यों ये बात समझ नहीं पाते
.....रजनीश (29.02.12)
अच्छी रचना... वाह!
ReplyDeleteबधाईयाँ.
Wow sir! Kitni pyari poem banayi hai....
ReplyDeleteवाह!!वाह!!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल...
आज यही दुनियादारी है ...सटीक ग़ज़ल
ReplyDeletebahot achchi lagi......
ReplyDeletemudde par nahi aate...bahut hi sahi...
ReplyDeleteबहुत जोरदार रचना...मुद्दे पर नहीं आते बस यूँ ही ह गोल मोल बात करते हैं...तभी तो आज के हालात ऐसे हैं..
ReplyDeletewaah
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत गज़ल्।
ReplyDeleteदोस्त सा दिखता है लेकिन,
ReplyDeleteदुश्मनों से भी बुरा ।
निश्छल हंसी से छल रहा,
हरदम प्रपंची बांकुरा ।
दूर जाना है उसे पर,
पीठ ना चाहे दिखाना --
विश्वास से कर घात घोंपे,
पीठ पर मारक छुरा ।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
बहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!
ReplyDeleteगहरी रचना, काश सब इतना सरल सोच पाते..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया रचना..
बेहद खूबसूरत.
ReplyDeleteसरल शब्दों में ....गहरी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteआजकल के उथले रिश्ते - ज़माना ऐसे ही रंग बदल रहा है....सुन्दर पोस्ट.
ReplyDeleteआपको सपरिवार , होली की शुभ कामनाएं.
सामयिक, विचारणीय आलेख... बधाई.
ReplyDeleteआपको सपरिवार , होली की शुभ कामनाएं.
सटीक कहा आपने, सुन्दर पोस्ट.
ReplyDeleteआपको सपरिवार , होली की शुभ कामनाएं
सच को रेखांकित करती सुन्दर रचना.
ReplyDeleteहार्दिक बधाई..