अपनी अवस्था में
रहने का प्रयास
कोशिश वजूद बनाए रखने की
प्रेम में रहने से हृदय प्रेममय ही रहेगा
होती है चलने की गति
लगते हुए बल की समानुपाती
जितनी होगी ढलान
उतना ही तेज उतरती गाड़ी
अपनापन बढ़ाओ प्रेम भी बढ़ेगा
ऊर्जा अमर है
उसका मान है स्थिर
कर नहीं सकते उसे
ख़त्म या पैदा ...
बस बदल सकता है उसका रूप
घृणा कम करो प्रेम का दायरा बढ़ेगा
धकेलने से सरल होता है खींचना
दूर करने से आसान है पास लाना
प्रेम देने से बड़ा है
प्रेम स्वीकार करना
प्रेम ग्रहण करने से प्रेम बढ़ेगा
......रजनीश (03.03.2012)
nice
ReplyDeletegahan ...bahut sarthak abhivyakti ...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteprerna deti hui bahut sunder kavita hai.....
ReplyDeleteप्रेम देने से बड़ा है
ReplyDeleteप्रेम स्वीकार करना
प्रेम ग्रहण करने से प्रेम बढ़ेगा
बहुत सुन्दर...जीवन दर्शन से जुड़ी इस रचना हेतु हार्दिक बधाई..
धकेलने से सरल होता है खींचना
ReplyDeleteदूर करने से आसान है पास लाना
प्रेम देने से बड़ा है
प्रेम स्वीकार करना
प्रेम ग्रहण करने से प्रेम बढ़ेगा...........सार्थक है
बहुत ही सुन्दर गहन भाव अभिव्यक्ति:-)
ReplyDeleteसब सिद्धान्त अनुकरणीय..
ReplyDeletebahut sahi aur sundar
ReplyDeleteBahut hi sunder
ReplyDelete-Good piece of information.
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