Sunday, May 13, 2012

ये दिन...











एक दिन  बीतकर
चला जाता है
डायरी के पन्नों  पर
और एक दिन
बीतता है
बस पन्ने पलटते..

दिनों की लंबाई
नहीं होती एक सी
हर दिन  होकर गुजरता  है
उसी सड़क से
पर सड़क कभी लंबी
और कभी छोटी
हो जाया करती है

कभी पसीने के साथ सूखता है दिन
और कभी आसुओं से भीगता है
कभी आधियों में
उड़ जाता है
सड़क से बहुत दूर
और कभी बरसते जज़्बातों
से आई बाढ़ में बह जाता है

ना कभी सूरज और
ना ही कभी उसकी धूप
एक जैसी मिलती है
सड़क पर
दिन का चेहरा भी
धूप के साथ ही बदलते हुए
कैद किया है अपने जेहन में
कितना बदलता है दिन ..
पर इनकी शक्ल याद रह जाती है

कई बार इसे सिर्फ खिलखिलाते देखा
और ये कभी गुमसुम,
तनहाई की चादर ओढ़े
ठिठुरते हुए गुजर गया
मौसम की मार से
सड़क में भी कभी धूल कभी गड्ढे
कभी उतार कभी चढ़ाव
बनते बिगड़ते रहते हैं
और बदलती रहती है दिन की तक़दीर

एक दिन गुजारते गुजारते कभी
महीनों निकल जाते हैं
और एक दिन रोके नहीं रुकता
कई दिनों की सूरत
दुबारा देखने के लिए तरसता हूँ
और कुछ दिन वापस लौट आते हैं
चल कर उसी सड़क से मेरी ओर बार-बार

जैसे भी हों इन बीतते दिनों
की याद सँजोये हूँ
और मेरे अंदर अभी भी
सांस लेते हैं ये टुकड़े वक्त के
जब मिलोगे तो
बैठकर करेंगे
हम बातें ढेर सारी
 इन दिनों की ...
....रजनीश (13.05.2012)

16 comments:

  1. हर दिन याद रखने लायक रहे..

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  2. एक दिन गुजारते गुजारते महीनों गुजर जाते है.

    बहुत गंभीर बात कही है. कई बार ऐसा लगता है कि वख्त थम सा गया है.

    सुंदर कविता.

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  3. सुंदर अति सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति,....रजनीश जी,....

    MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

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  4. बहुत गहन और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर

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  5. khubsurat yaado ko sdanjoya hai shabdo me....

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  6. very nice...I wish I could have responded in hindi!!!

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  7. Beautiful expression & wonderful comparisons.

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  8. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  9. वाह ! एक दिन महीनों सा और एक दिन रुकता ही नहीं...बहुत सुंदर भाव, लेकिन जो भी बीत गया सो बीत गया..कितना भी पुकारो वापस नहीं आता..

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  10. बीते दिनों की यादें संजोये.....................

    बहुत सुंदर ...

    सादर.

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  11. सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति,....रजनीश जी,....

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  12. दिनों की लंबाई
    नहीं होती एक सी
    हर दिन होकर गुजरता है
    उसी सड़क से
    पर सड़क कभी लंबी
    और कभी छोटी
    हो जाया करती है

    दिन के विविध रूपों को अच्छे शब्द दिए हैं आपने।

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...