Thursday, July 26, 2012

मैं जानता हूँ सब कुछ, फिर भी ...


मैं जानता हूँ
मेरी चंद ख़्वाहिशों के रास्ते
नक़्शे पर दिखाई नहीं देते,
मैं जानता हूँ
मेरे कुछ सपनों के घरों का पता
किसी डाकिये को नहीं,
मैं जानता हूँ
मेरे चंद अरमानों का बोझ
नहीं उठा सकते मेरे ही कंधे,
मैं जानता हूँ
मेरी तन्हाई मुझे ही
नहीं रहने देती अकेले ,
मैं जानता हूँ
मेरे कुछ शब्दों को
आवाज़ मिली नहीं अब तक,
मैं जानता हूँ
राह पर चलते-चलते
बहुत कुछ पीछे छूटता जाता है,
मैं जानता हूँ
कुछ लम्हे निकल जाते हैं
बगल से बिना मिले ही,
मैं जानता हूँ
बरस तो जाएगी पर
बारिश नहीं भिगोएगी कुछ खेतों को
मैं जानता हूँ ये सब कुछ,

मैं जानता हूँ सब कुछ...
फिर भी लगाए हैं कुछ बीज मैंने
फिर भी करता हूँ कोशिश मिलने की हर लम्हे से,
मैं जानता हूँ सब कुछ...
फिर भी लगा हूँ बटोरने रास्ते से हर टुकड़ा
फिर भी सँजोये रहता हूँ अनकहे शब्दों को जेहन में  
मैं जानता हूँ सब कुछ...
फिर भी कहता रहता हूँ तन्हाई से दूर जाने को
फिर भी देता हूँ डाकिये को अरमानों के नाम कुछ पातियाँ  
मैं जानता हूँ सब कुछ...
पर अक्सर नक्शों में ढूँढता हूँ
सपनों के वो रास्ते ...

मैं जानता हूँ
कि आस है मुझे कुछ करिश्मों की ….
.....रजनीश (26.07.12)

21 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,रजनीश जी बधाई

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

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  2. आस और पूरे होंगे सब अरमान ये विश्वास...यही तो जीने का मकसद हैं...
    सुन्दर रचना रजनीश जी.

    अनु

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  3. वाह ! बहुत सुंदर, करिश्मे हर पल घटते हैं उन्हें देखने की नजर चाहिए..

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  4. मैं जानता हूँ
    मेरे कुछ शब्दों को
    आवाज़ मिली नहीं अब तक,
    मैं जानता हूँ
    राह पर चलते-चलते
    बहुत कुछ पीछे छूटता जाता है


    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ....

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  5. वाह !
    वाकई बहुत कुछ
    जानते हैं आप
    अंत तक पहुँचते पहुँचते
    जग रही है आस
    करिश्मा देखिये
    होने ही वाला है
    सपना सपना अब
    नहीं रहने वाला है
    डाकिये को भी
    पता हो गयी
    है ये बात
    नहीं भी आयेगी
    पाती तब भी
    एक तो पक्का वो
    खुद लिख कर
    लाने वाला है !!

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  6. मैं जानता हूँ
    मेरे कुछ शब्दों को
    आवाज़ मिली नहीं अब तक,
    मैं जानता हूँ
    राह पर चलते-चलते
    बहुत कुछ पीछे छूटता जाता है
    भावमय करते शब्‍द

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  7. अब तो बस करिश्मों की प्रतीक्षा है...

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  8. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
    सादर.

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  9. मैं जानता हूँ
    मेरे कुछ शब्दों को
    आवाज़ मिली नहीं अब तक,
    मैं जानता हूँ
    राह पर चलते-चलते
    बहुत कुछ पीछे छूटता जाता है..dil ko chu gayi panktiya.....

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  11. सपनों के घर का पता ही तो हम सब ढूढ़ रहे हैं.

    बहुत सुंदर.

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  12. सबकुछ जानते हुए भी अपनी तलाश होती ही है ...

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  13. hum saab sab kuch jante hain bas ye dil hi nahi manta....

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  14. ज़िंदगी में कई बार सब कुछ जानते हुए भी इंतज़ार होता है कुछ करिश्मों का...शायद यही देते हैं प्रेरणा जीने की...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  15. सार्थक प्रस्तुति

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  16. यह तजवीज भी अच्छी है कि करिश्मों से ख्वाहिशों को मुकाम मिल जाये.

    सुंदर प्रस्तुति.

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  17. Bahut badhiya kavita hai.

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  18. इस सुन्दरतम रचना के लिए बधाई स्वीकारें.

    कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारें , अपनी प्रतिक्रिया दें , आभारी होऊंगा .

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  19. इस सुन्दरतम रचना के लिए बधाई स्वीकारें.

    कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारें , अपनी प्रतिक्रिया दें , आभारी होऊंगा .

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  20. सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन अभिव्यक्ति

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...