तू जब भी मुझसे मिले ऐसे
मिले
ज्यों रात चाँद चाँदनी
से मिले
तू जब भी मुझसे...
हुई जब भी आहट तेरे आने
की
पन्नों के बीच दबे फूल
खिले
तू जब भी मुझसे...
तेरी आवाज़ जब भी सुनता
हूँ
लगे है बंसरी को जैसे सुर
हो मिलें
तू जब भी मुझसे...
जो फ़ासला था वो फ़ासला ही रहा
दो पटरियों की तरह संग चले
तू जब भी मुझसे...
तेरे खयाल जब भी दिल से
बात करें
तेज़ बारिश हो आंधियाँ भी
चलें
तू जब भी मुझसे मिले ऐसे
मिले
ज्यों रात चाँद चाँदनी
से मिले
........रजनीश ( 31.08.2013)
बहुत खूब, मन प्रभावित करती पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना ॥
ReplyDeleteआपको भी हमारी टिप्पणी मिले...
ReplyDeleteक्या बात वाह!
ReplyDeleteप्रीत की रीत सिखाती सुंदर पंक्तियां...
ReplyDeletebahut sundar rachana ....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया मन को प्रभावित करती प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST : फूल बिछा न सको
सुन्दर रचना
ReplyDeletelovely expressions..
ReplyDeletekash sabhi aise hi milte aapas mein :)
☆★☆★☆
तेरी आवाज़ जब भी सुनता हूं
लगे है बांसुरी को जैसे सुर हों मिले...
वाऽहऽऽ…!
आदरणीय रजनीश जी
सुंदर प्रेम गीत पढ़ कर आनंद आ गया...
साधुवाद !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बेहद सुंदर ...रचना..
ReplyDeleteभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत भावयुक्त रचना!!
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