Thursday, June 15, 2017

चलो कुछ तो है


ईश्वर का  पता नहीं
पर आस्था तो है
मंजिल का पता नहीं
पर रास्ता तो है
न्याय का  पता नहीं
पर अदालत तो है
सजा का तो पता नहीं
पर हिरासत तो है
जीत का पता नहीं
पर हौसला तो है
क्या सही-गलत पता नहीं
पर फैसला तो है
कौन अपना है पता नहीं
पर लगाव तो है
मंजिल समंदर है पता नहीं
पर बहाव तो है
..........रजनीश  (15/06/17)

4 comments:

  1. सुंदर भावपूर्ण ! रास्ते का पता हो तो मंजिल दूर कहाँ है...

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  2. बहुत सुन्दर

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टिप्पणी के लिए धन्यवाद ... हार्दिक शुभकामनाएँ ...