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Monday, July 11, 2011
सुबह की चाय
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हर रोज़ सुबह दरवाजे पर संसार पड़ा हुआ मिलता है चंद पन्नों में चाय की चुस्कियों में घोलकर कुछ लाइनें पीने की आदत सी हो गई है और साथ...
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Tuesday, May 17, 2011
आप बीती
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[1] जो चीजें थीं कभी सस्ती होती जा रही हैं वो महँगी जो कभी होती थीं अनमोल गली-गली बिकती हैं सस्ते में... [2] घड़ी तो अब भी है गोल ...
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