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कश्मकश
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Friday, July 29, 2011
कश्मकश
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कभी विचार करते हैं क्रंदन , और फिर मैं लिखता हूँ, कभी सोच को जीवन देता हूँ, कभी लिख कर सोचने लगता हूँ लाइनों का भविष्य , कभी ...
25 comments:
Wednesday, July 27, 2011
उन्मुक्तता
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जब भी अपने में झाँका है, पाया खुद को जकड़े और बंधे हुए ; कहीं मैं बंधा, कहीं कोई बांधे मुझे, जो मुझे बांधे , खुद बंधा है कहीं और...
7 comments:
Wednesday, December 15, 2010
कश्मकश
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कभी विचार करते हैं क्रंदन , और फिर मैं लिखता हूँ, कभी सोच को जीवन देता हूँ, कभी लिख कर सोचने लगता हूँ लाइनों का भविष्य , क...
Monday, November 29, 2010
उन्मुक्तता
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जब भी अपने में झाँका है, पाया खुद को जकड़े और बंधे हुए ; कहीं मैं बंधा, कहीं कोई बांधे मुझे, जो मुझे बांधे , खुद बंधा है कहीं और भी बुनते ह...
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