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Monday, July 11, 2011
सुबह की चाय
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हर रोज़ सुबह दरवाजे पर संसार पड़ा हुआ मिलता है चंद पन्नों में चाय की चुस्कियों में घोलकर कुछ लाइनें पीने की आदत सी हो गई है और साथ...
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Monday, June 13, 2011
एक छुट्टी का दिन
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कुछ यादों की सिलवटें कुछ उनींदें सपनों की उलझी लटें कुछ गुफ़्तगू पुराने होते घर से थोड़ा टीवी के साथ करवटें कुछ बोरियत भरे लम्हों से ल...
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Wednesday, May 18, 2011
थोड़ा सा रूमानी हुआ जाए
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दिन का हर सिरा वही पुराना लगता है वही चेहरे वही खबरें वही रास्ता वही गाड़ी वही हवा वही धूप वही रोड़े वही कोड़े फ्रेम दर फ्रेम दिन की...
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