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जानवर
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Saturday, November 26, 2011
छलावा
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तुम्हें जो खारा लगता है वो सादा पानी होता है समझते हो कि आँखों से मेरा ये दिल टपकता है मेरे आँसू क्या सस्ते हैं गैरों के दर्द पर रोएँ दिल नह...
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Sunday, February 27, 2011
कुछ प्रश्न...
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[1] जीवन ,माना चक्र है । पर कहते हो है ये सीढ़ी भी , कहाँ टिकी ऊपर ये सीढ़ी ? वो छोर, क्यूँ नहीं दिखता है ? [2] प्रेम धुरी से बं...
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