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जाम
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Friday, January 13, 2012
एक बूंद
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ओस की इक बूंद जमकर घास पर, सुबह -सुबह मोती हो गई, ठंड की चादर ने दिया था उसे ठहराव कुछ पलों का, फिर वो बूंद सूरज की किरणों पर बै...
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Sunday, February 6, 2011
आस
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एक दिन, चढ़ गया है.. एक पत्ता, झड़ गया है.. एक दोस्ती, टूट गयी है.. एक डोर, छूट गयी है.. एक पता, गुम गया है.. एक रास्ता, रुक गया है.. एक रं...
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