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Friday, April 22, 2011
शीर्षक
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अगर कोई शीर्षक ना दिया होता तो क्या तुम इसे नहीं पढ़ते ? और अगर पढ़ लेते फिर जरूरत ही क्या तुम्हें शीर्षक की ? क्या तुम तय करते हो इस...
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Saturday, March 5, 2011
तुमने कहा था
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तुमने कहा था, कि जो चाँद उस रात , तारों की चादर ओढ़े , तुम्हारी खिड़की पर आके बैठा था, उसमें एक पत्थर पे खुदा मेरा नाम, तुम पढ़ ना ...
11 comments:
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