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Wednesday, May 1, 2013
बहता हुआ पसीना
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( साल भर पुरानी कविता पुन: पोस्ट कर रहा हूँ ) बहता है पसीना तब सिंचती है धरती जहां फूटते है अंकुर और फसल आती है ...
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Tuesday, May 1, 2012
बहता पसीना
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बहता है पसीना तब सिंचती है धरती जहां फूटते है अंकुर और फसल आती है बहता है पसीना तब बनता है ताज जिसे...
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