[ मदर्स डे पर लिखा था , शायद अच्छा न लगे क्यूंकि मदर्स डे तो बीत चुका…. ]
आखिर दे ही दिया एक दिन
माँ को भी एक साल में,
कम से कम एक दिन ही सही
सोचा वो है किस हाल में...
पर तुम तो रहोगे बच्चे ही
जब भी माँ के करीब होगे,
तुम्हें तो आदत है उससे लेने की
तुम कभी न कुछ दे सकोगे...
क्या है माँ को जरूरत
तुम्हारे आभार की,
वो तो खुश होती रही है
करके सेवा परिवार की ...
नौ महीने थे माँ के गर्भ में
तब इस दुनिया में आ सके हो तुम ,
अपने खून से पाला है उसने
तब यहाँ तक पहुँच सके हो तुम ...
उसका प्यार भरा आँचल
तुम्हें हर मौसम पनाह देता है ,
उसका बस एक दैवीय स्पर्श
तुम्हें जीवन नया देता है ...
साथ सदा है माँ तुम्हारे
हो सुख या हो दुख ,
माँ का रक्त दौड़ता
तुम्हारी रगों में
माँ की ममता,
माँ की महिमा
कैसे बयां हो
एक पन्ने की लाइन में,
हर पल तुम्हारा
ऋणी हो जिसका
करना चाहते उसे सीमित
बस एक दिन में...
...रजनीश (09.05.2011)
माँ की ममता,
ReplyDeleteमाँ की महिमा
कैसे बयां हो
एक पन्ने की लाइन में,
हर पल तुम्हारा
ऋणी हो जिसका
करना चाहते उसे सीमित
बस एक दिन में...
...माँ का प्यार दुलार न एक पन्ने का मुहताज है न एक दिन का ......
कैसे बयां हो
ReplyDeleteएक पन्ने की लाइन में,
हर पल तुम्हारा
ऋणी हो जिसका
करना चाहते उसे सीमित
बस एक दिन में...
बेहद सटीक...बेहद भावपूर्ण...
हर दिन, हर पल मां का होता है.
हर पल तुम्हारा
ReplyDeleteऋणी हो जिसका
करना चाहते उसे सीमित
बस एक दिन में...
kya baat hai......
maa ka karz utarna bahut muskil hai
ReplyDeleteDil bhar aaya aapki kavita padh kar.... Bahut hi sundar post.... avinash001.blogspot.com
ReplyDeleteएक पन्ने की लाइन में,
ReplyDeleteहर पल तुम्हारा
ऋणी हो जिसका
करना चाहते उसे सीमित
बस एक दिन में...bhut hi bhaavpur abhivakti...
साथ सदा है माँ तुम्हारे
ReplyDeleteहो सुख या हो दुख ,
माँ का रक्त दौड़ता
तुम्हारी रगों में
माँ की ममता,
माँ की महिमा
कैसे बयां हो
एक पन्ने की लाइन में,
बहुत भावपूर्ण रचना...
unke liye sab kuch arpan... hamara saccha samarpan...
ReplyDeletebahut hi badhiya laga ye shabd padhkar...