कोशिश करता रहता हूँ
खुद को जानने की
चल रहा हूँ एक लंबे सफर में
खुद को समझने की
सब करते होंगे ये
जो जिंदा है ,
मरे हुए नहीं करते
कोशिश का ये रास्ता ,
दरअसल भरा है काँटों से
बेसिर पैर और अनजानी सी जिंदगी
से बेहतर हैं ये कांटे
जिनकी चुभन से उड़ती है नींद और
खुल जाती है आँख
ये कांटे दिखाते हैं रास्ता
देते हैं हौसला
और भरते हैं मुझमें आशा ,
और आगे जाने की
खुद से बेहतर हो जाने की......
....रजनीश
रजनीश भाई, दिल को छू गयी आपकी बात।
ReplyDeleteब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
गहन चिन्तन युक्त सुंदर कविता !
ReplyDeleteबहुत अच्छी सोच ..खुद से बेहतर हो जाने की ..
ReplyDeleteवाह ये खोज ही तो अंतिम लक्ष्य तक लेकर जाती है।
ReplyDeleteखुद से बड़ा होना जिसने चाहा वही सच्चा मानव है, खुद को जो चूक जाते हैं वे अंत में पछताते हैं...
ReplyDeleteHeart touching!!!
ReplyDeleteसार्थक खोज...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...वाह!
ReplyDeleteveru touching...
ReplyDelete'ये कांटे दिखाते हैं रास्ता
ReplyDeleteदेते हैं हौसला .......'
..................संघर्षों में जीना ही असली जिंदगी है
....................सुन्दर प्रस्तुति
बहुत खुबसूरत भाव रजनीश जी...
ReplyDeleteसादर आभार...