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अहसास
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Friday, April 27, 2012
खेल साँप-सीढ़ी का ...
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(एक पुरानी कविता पुनः पोस्ट कर रहा हूँ कुछ संशोधन के साथ .... ) मैं हूँ एक खिलाड़ी हरवक्त मेरे कदम होते हैं किसी सीढ़ी के एक पायदान या...
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Saturday, June 18, 2011
बारिश
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धूप ने महीनों सुखाया था मिट्टी को आखिरी बूंद तक निकाल ले गई थी जली हुई जमीं की राख़ उड़ती थी हवा में छांव की ठंडक हवा संग बह गई थी गर...
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Sunday, January 9, 2011
कुछ अहसास ऐसे होते हैं ....
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आप इसे यहाँ मेरी आवाज में सुन सकते हैं .... कुछ अहसास ऐसे होते हैं .... जो रहते हैं बहुत दूर, शब्दों से , पर उन्हे छूने कहीं जाना नहीं...
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