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आईना
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Sunday, June 16, 2013
नई बारिश
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मुझे याद है वो सुलगती हुई एक सुनसान दोपहर जब मैं मुखातिब था उस पेड़ से जो झुलसा हुआ सूखा-सूखा खड़ा हुआ था राह किनारे अपनी ज़िंदगी ...
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Monday, May 28, 2012
चेहरों का शहर
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( अपनी एक पुरानी कविता पुनः पोस्ट कर रहा हूँ ....) एक चेहरा जो सिर्फ एक चेहरा है मेरे लिए दिख जाता है अक्सर जब भी पहुंचत...
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Thursday, February 9, 2012
मेरी दुनिया
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मैं चलता हूँ जिस रास्ते पर एक मील एक कदम और कभी एक कदम एक मील का होता है घर की सीढ़ी से उतरते सड़क पर आते आते घर के भीतर पहुंच जाता हूँ औ...
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