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आशियाना
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आशियाना
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Wednesday, October 28, 2015
कुछ क्षणिकाएँ..
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[1] है आँखों में नमी, हुई मानसून में कमी अल-निनो की करतूत, है सूखी सी जमीं [2] आगे बढ़ो मत भूलो हुए बापू शास्त्री यहीं कुछ करो विरास...
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Friday, June 29, 2012
बारिश में धूप
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बारिश से धुले चमकते पत्तों पर उतरी धूप फिसल कर छा जाती है नीचे उग आई हरी भरी चादर पर बादल रुक जाते हैं और हल्की ठंडी हवा के झोंको...
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Saturday, October 1, 2011
झुर्रियों का घर
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बनाया था जिन्होंने आशियाना इकठ्ठा कर एक-एक तिनका जोड़ कर एक-एक ईंट पसीने से किया था कमरों को तब्दील घर में, उसकी दहलीज़ पर बैठे वो आ...
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Sunday, April 3, 2011
चंद शेर
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स्वर्ग और नर्क के संसार यहीं होते है .. भगवान और शैतान के दीदार यहीं होते हैं.. मिलने गया था कल इमाँ से उसकी बस्ती में , देखा कुछ लोग...
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