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Sunday, March 3, 2013
खेल इंसान का
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राह तो बस राह है उसे आसां या मुश्किल बनाना इंसान का खेल है तकदीर तो बस तकदीर है उसे बिगाड़ना या बनाना इंसान का खेल ...
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Tuesday, December 27, 2011
बदलता हुआ वक़्त
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महीने दर महीने बदलते कैलेंडर के पन्ने पर दिल के कैलेंडर में तारीख़ नहीं बदलती भागती रहती है घड़ी रोज देता हूँ चाबी पर एक ठहरे पल क...
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Monday, December 12, 2011
दिल का रिश्ता
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आज छूकर देखा कुछ पुरानी दीवारों को सीलन भरी जिसमें दीमक के घरों से बनी हुई थी एक तस्वीर बीत चुके वक्त की आज एक पुराने फर्श पर फैली धूल...
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Saturday, June 4, 2011
मेरा पता
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सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक पर कभी दिख जाती है एक शाम और मैं मिलता हूँ खोया हुआ एक भीड़ में और अक्सर दिखते हैं रास्ते में पड़े ऑफिस के क...
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Tuesday, March 15, 2011
कंपन
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धरती काँपती है , हर तरफ होता विनाश साक्षी है । दिन में , कुछ पलों के लिए मैं भी जमीन पर होता हूँ, पर कभी महसूस नहीं हुआ, जमीन का तना...
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Sunday, February 20, 2011
दुनिया
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जहां रहता हूँ मैं, है वो इक दुनिया, जहां घर तुम्हारा , वो भी इक दुनिया... देखा था जिसे ख्वाब में , वो इक दुनिया, हक़ीक़त में जो मिली ...
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