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चेहरे
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Wednesday, April 24, 2013
कुछ यूं करके भी देख ...
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हवा में हरदम ऊंचा उड़ता है कभी जमीं पर चलकर देख, फूलों का हार पहन इतराता है कभी कांटे सर रखकर देख, दौलत और दावतें...
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Monday, May 28, 2012
चेहरों का शहर
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( अपनी एक पुरानी कविता पुनः पोस्ट कर रहा हूँ ....) एक चेहरा जो सिर्फ एक चेहरा है मेरे लिए दिख जाता है अक्सर जब भी पहुंचत...
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Sunday, November 6, 2011
फ़ेस बुक
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चेहरों की किताब हर चेहरे में अपना चेहरा अपने चेहरे में हर चेहरा मिलता हूँ अपनों से किताब के पन्नों में जो उभरते हैं एक स्क्रीन पर जो ...
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Wednesday, May 25, 2011
चेहरे
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एक चेहरा जो सिर्फ एक चेहरा है मेरे लिए दिख जाता है अक्सर जब भी पहुंचता हूँ चौराहे पर, एक चेहरा हरदम सामने रहता है चाहे कहीं से भी गुज...
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