रजनीश का ब्लॉग
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Friday, July 14, 2017

बरसात

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गिरता पानी बहती नदिया ओढी धरती हरी चदरिया आया सावन गरजे बदरिया चमके बिजुरी बैरी सांवरिया भीगा आंगन भीगी गलियां पड़ गये झूले नाचे ...
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Friday, October 21, 2011

आ गई ठंड

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बुझ गई धरा की प्यास खुश हुईं सारी नदियां भी लहलहा उठे हैं सब खेत देखो तनी  है छाती  पेड़ों की गुम चुकी है  बदरिया अब भिगा धरती का हर ...
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रजनीश तिवारी
इलेक्ट्रिकल इंजीनियर....लिखता हूँ ...फोटोग्राफी भी .... ब्लॉग के माध्यम से मेरी कविताएं पहुँचती हैं आप तक ...
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