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Friday, July 14, 2017

बरसात

गिरता पानी
बहती नदिया
ओढी धरती
हरी चदरिया

आया सावन
गरजे बदरिया
चमके बिजुरी
बैरी सांवरिया

भीगा आंगन
भीगी गलियां
पड़ गये झूले
नाचे गुजरिया

छुप गया सूरज
घिर आए बादल
खो गया चंदा
गुमी चंदनिया

मौसम भीगा
भीगा तनमन
हर दिल बहका
ले कौन खबरिया

गिरता पानी
बहती नदिया
ओढी धरती
हरी चदरिया
..........रजनीश (14.07.17)

Friday, October 21, 2011

आ गई ठंड

mysnaps_diwali 155
बुझ गई धरा की प्यास
खुश हुईं सारी नदियां भी
लहलहा उठे हैं सब खेत
देखो तनी  है छाती  पेड़ों की

गुम चुकी है  बदरिया अब
भिगा धरती का हर छोर
फिर दौड़ने लगा  है सूरज
सींचता प्यारी धूप  चहुं ओर

छोटे हो चले अब दिन
अब होंगी लंबी  रातें
निकाल लो अब रजाइयाँ
दुबक कर  करना उसमें बातें

हैं ये दिन त्योहारों के
बन रही है मिठाइयाँ
रोशन दिये से होंगी रातें
चल रही है तैयारियां

कोई डरता अब के बरस भी  
फिर से सिहर कर काँप उठता
हैं  पास न छत न उसके कपड़े
बचने की वो भी कोशिश करता

बर्फ सजाएगी पहाड़ों को अब
गहरी  झीलें भी जम जाएंगी
सुबह मिलेंगीं ओस की बूंदें
साँसे भी अब दिख जाएंगी

वादियाँ ओढ़ती हैं एक लिहाफ
दुनिया कोहरे में छुप जाती है
लो ख़त्म हुई इंतज़ार की घड़ियाँ
इठलाती हुई ठंड आती है ...
.....रजनीश ( 21.10.2011)
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