शुरू हुआ एक साल नया
बीती हैं कुछ ही रातें
सड़कें घर सब भीगे भीगे
रह रह होती बरसातें
है मौसम भूला राह
दबा उत्साह क्या होगा आगे
अन्ना दिशा गए भूल
छुपाए शूल इक रस्ता मांगे
शुरू हुआ एक साल नया
लाया चुनावी हलचल
नेता भटकेंगे गली गली
करेंगे सबकी मान-मुनव्वल
होगा सब कुछ वही
बात है सही काहे का रोना
पर लगे रहो मुन्ना भाई
नहीं है बुराई , अब न सोना
शुरू हुआ एक साल नया
अंदर-बाहर का खेल
कोई फंसा भंवरी के भंवर में
बड़े नित जाते जेल
सोच अपनी है यही
बात है सही उदास न रहना
बन जाएगी तक़दीर
है गर तदबीर प्रेम तुम सबसे करना ...
...रजनीश (08.01.2012)