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Thursday, January 1, 2015

नया वर्ष नई कविता

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नए वर्ष में नई उमंगे
नए गीत नई खुशियाँ बरसे
नई मंज़िलें नए रास्ते
कदम कदम मन सबका हरसे

सपने हो जाएँ साकार
सफलता के नव द्वार खुलें
मिट जाए अंधकार
चहुं ओर प्रेम के दीप जलें

नए वर्ष में नए तराने
सभी हृदय एक ताल में थिरकें
गुनगुनाएँ खुशियों के गाने
बढ़े चलें सब साथ में मिलके

आशाओं को दें जीवन
पाएँ रिश्तों में ऊँचाइयाँ मिलके
जो बीत गई सो बात गई
जो खोया उससे सीखें मिलके

नए बर्ष में नई उमंगे
नए गीत नई खुशियाँ बरसे
नया जोश और नई तरंगे
कोई हृदय ना प्यासा तरसे ....
..... रजनीश (01.01.2015)
नववर्ष 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ ....

Tuesday, December 31, 2013

स्वागत नए वर्ष का ...















बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल

चढ़ गई एक और परत
वक़्त की हर तरफ़
कुछ सूख गए पेड़ों और
कुछ नई लटकती बेलों में
बस कुछ खट्टी मीठी यादें
बाकी सब , पहले जैसा ही  हाल


बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल


एक बारिश सुकून की
धो गई कुछ ज़ख़्म इस बरस
कुछ अरमान ठिठुरते रहे
कड़कड़ाती ठंड में सहमे
चढ़ते उतरते रहे मौसम के रंग
जवाबों में फिर मिले कुछ सवाल


बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल

....रजनीश (16.12.2012)
repost
नव वर्ष 2014 की हार्दिक शुभकामनाएँ ....

Sunday, December 16, 2012

इक साल

















बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल

चढ़ गई एक और परत
वक़्त की हर तरफ़
कुछ सूख गए पेड़ों और
कुछ नई लटकती बेलों में
बस कुछ खट्टी मीठी यादें
बाकी सब , पहले जैसा ही  हाल


बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल


एक बारिश सुकून की
धो गई कुछ ज़ख़्म इस बरस
कुछ अरमान ठिठुरते रहे
कड़कड़ाती ठंड में सहमे
चढ़ते उतरते रहे मौसम के रंग
जवाबों में फिर मिले कुछ सवाल


बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल

....रजनीश (16.12.2012)

Sunday, January 8, 2012

शुरू हुआ एक साल


शुरू हुआ एक साल नया 
बीती हैं कुछ ही रातें  
सड़कें घर सब भीगे भीगे 
रह रह होती बरसातें 

है मौसम भूला  राह 
दबा उत्साह क्या होगा आगे 
 अन्ना दिशा गए भूल 
छुपाए शूल इक रस्ता मांगे 

शुरू हुआ एक साल नया 
लाया चुनावी हलचल 
नेता भटकेंगे गली गली 
करेंगे सबकी मान-मुनव्वल 

होगा सब कुछ वही 
बात है सही काहे का रोना 
पर लगे रहो  मुन्ना भाई 
 नहीं है बुराई , अब न सोना 

शुरू हुआ एक साल नया 
 अंदर-बाहर का खेल 
कोई फंसा भंवरी के भंवर में 
बड़े नित जाते जेल 

सोच अपनी  है यही 
बात है सही उदास न रहना 
बन जाएगी तक़दीर 
है गर तदबीर प्रेम तुम सबसे करना ...
...रजनीश (08.01.2012)
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