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ये चित्र - गूगल से , साभार |
महीना आया सावन का
बारिश का इंतज़ार
हम देख आसमां सोचते
कैसी मौसम की मार
रुपया चला रसातल में
डालर से अति दूर
क्या खर्चें क्या बचत करें
हालत से मजबूर
महँगाई सुरसा हुई
तेल स्वर्ण हुआ जाए
गाड़ी से पैदल भले
सेहत भी चमकाए
है यू एस में गुल बिजली
और जन-जीवन अस्त-व्यस्त
हुआ प्रकृति की लीला से
सुपर पावर भी त्रस्त
गॉड पार्टिकल खोज कर
इंसान खूब इतराए
गर हों तकलीफ़ें दूर सभी
तो ये बात समझ में आए
कहीं पर पब्लिक क्रुद्ध है
कहीं होता गृह युद्ध
इस अशांत संसार को
फिर से चाहिए बुद्ध
......रजनीश (04.07.12)