को बचाने किए
लाखों जतन
लड़ गए समय से
झोंक दिया अपना तन-मन
दिन -रात एक किया
और दिखाया जज़्बा
अपनी कौम को बचाने का
मुसीबतजदा के काम आने का ...
पर जिसने खोदा गड्ढा
वो भी इंसान था
खुद्गर्जी और लालच में
जो बन गया शैतान था
गड्ढे की हैवानियत में
फंसी इंसानियत
घुटती रही
लंबी चली जंग में
एक ज़िंदगी पुकारती रही
हैवानियत थी बुलंद
इंसानियत हारती रही
जिंदगी फिर हार गई
सब रिश्ते तोड़ गई
शहरवालों के लिए
पर एक सबक छोड़ गई ...
.....रजनीश (24.06.2012)