ओ प्यासे
खो जाने वाले
बिना ही बात  
मुस्कुराने वाले
मन , तू रहता है कहाँ 
ओ पगले 
रुलाने वाले 
जब-तब
मदहोश हो जाने वाले 
मन, तू रहता है कहाँ 
ओ भंवरे 
खूब बहकने वाले 
प्यार के गीत पर
चहकने वाले 
मन, तू  रहता है कहाँ 
ओ झूठे 
बहकाने वाले 
मंदिर भी
कहलाने वाले 
मन, तू रहता  है कहाँ 
ओ बच्चे 
सब कुछ चाहने वाले 
सीमा -रेखाएँ लांघने वाले 
मन, तू रहता है कहाँ 
मन तू आखिर है कहाँ  
मुझसे मुझे चुराने वाले 
बस में मेरी न आने वाले 
भला-बुरा दिखलाने वाले
ओ आईना कहलाने वाले 
सच है गर यारी हमारी  
बता देह में जगह तुम्हारी 
आँखे तो बस 
देखती हैं प्यार से 
कान सुनते बस धड़कन 
जुबां सुनाती बातें 
हाथ पकड़ते कम्पन 
हर अंग तुम्हारी चुगली करता 
तू कहीं तो है ये हरदम लगता
मन, तू रहता है कहाँ 
ढूंढते-ढूंढते थक गया मैं 
भीग गया पसीने में 
भेजे से तो बैर है तेरा 
क्या रहता है तू सीने में 
पर सीने में तो दिल है 
उसका जीने से सरोकार 
वो तो बस दे रहा
लहू को रफ्तार
वहां कहाँ है
गंगा-जमुना 
वहां तो बस रक्त है
जान ही लूंगा 
भेद मैं तेरा 
अभी भी काफी वक्त है  
  ...........रजनीश  (01/06/17)