Showing posts with label नकल. Show all posts
Showing posts with label नकल. Show all posts

Tuesday, April 12, 2011

भ्रष्टाचार

DSCN1693
कब किया था भ्रष्टाचार
मैंने पहली बार ?
तब , जब
दूसरा चॉकलेट पाने के लिए
बेमन से गाया था गाना बचपन में,
या तब, जब
झूठ ही 'तबीयत खराब थी' कहकर बचा था
होमवर्क न करने की सज़ा से,
या तब, जब
नज़रें चुराकर
भाई के हिस्से की मिठाई निकाली थी,
या तब , जब
साझे मेँ तोड़ी कुछ इमलियाँ
बिना बंटवारा किए अपनी जेब मेँ डाला था हौले से,
या फिर तब , जब
मिठाई लेने के लिए मैं
चुपचाप लाइन तोड़ आगे घुस गया था,
या फिर तब, जब
दोस्त को बचाया था मीठी गोलियों की एक चोरी मेँ
क्यूंकि वो देता था एक हिस्सा ईमानदारी से ,
या  तब, जब
स्कूल मेँ लैब असिस्टेंट से
खूब मिन्नते की थीं चिल्हर  दिखाकर 
ताकि बताए वो मिश्रण का कंपोजीशन, 
या  तब, जब
बड़ी सफाई से बगल वाले के पत्ते देखकर
जीता था ताश के खेल मेँ ,
या फिर तब , जब
एक प्रश्न का उत्तर
नकल कर लिखा था परीक्षा मेँ,
और भी बहुत कुछ है क्या क्या लिखूँ ?
पता नहीं,    
पर लगता है तभी किया होगा कहीं,
बचपन मेँ ही
भ्रष्टाचार पहली बार ...
...रजनीश (11.04.2011)
पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....