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Saturday, March 3, 2012

प्रेम के कुछ सिद्धांत

करती है हर चीज़
अपनी अवस्था में
रहने का प्रयास
कोशिश वजूद बनाए रखने की
प्रेम में रहने से हृदय प्रेममय ही रहेगा

होती है चलने की गति
लगते हुए बल की समानुपाती
जितनी होगी ढलान
उतना ही तेज उतरती गाड़ी
अपनापन बढ़ाओ प्रेम भी बढ़ेगा

ऊर्जा अमर है
उसका मान है स्थिर
कर नहीं सकते उसे
ख़त्म या पैदा ...
बस बदल सकता है उसका रूप
घृणा कम करो प्रेम का दायरा बढ़ेगा

धकेलने से सरल होता है खींचना
दूर करने से आसान है पास लाना
प्रेम देने से बड़ा है
प्रेम स्वीकार करना
प्रेम ग्रहण करने से प्रेम बढ़ेगा
......रजनीश (03.03.2012) 
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